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भक्तराज पं0 देवीसहायजी की मार्मिक कथा
भक्तराज पं0 देवीसहायजी की अधबुत कहानी - Full Story of भक्तराज पं0 देवीसहायजी (हिन्दी)

[भक्त चरित्र -भक्त कथा/कहानी - Full Story] [भक्तराज पं0 देवीसहायजी]- भक्तमाल


पं0 देवीसहायजीका जन्म सं0 1868 वि0 में फर्रुखाबाद जिलेके अन्तर्गत सरायमीर नामक ग्राममें हुआ था। ये बड़े शिवभक्त थे। भगवान् शिवपर इनका अटूट विश्वास था किसी भी आपत्तिके आ पड़नेपर अन्य किसीसे भी सहायताकी याचना न करके भगवान् शङ्करपर ही निर्भर रहा करते थे। भगवान् शङ्करने इन्हें कई बार प्रत्यक्ष दर्शन भी दिये थे। इनके जीवनकी, अनेक अलौकिक घटनाओंसे इनकी आदर्श शिवभक्ति प्रकट होती है। वृद्धावस्थामें तो इनका एकमात्र काम ही था दिनभर शिवमन्त्रका जप, कीर्तन आदि और प्रातः एवं रात्रिमें स्वरचित सुललित पदोंद्वारा भगवान् शिवकेगुणगान करना। इन्होंने सं0 1944 वि0 में शिवसायुज्य लाभ करके इहलीला संवरण की। देवीसहायजीके रचे हुए पद अत्यन्त मर्मस्पर्शीएवं हृदयग्राही हैं। इनका एक सुन्दर पद नीचे दियाजाता है-

दीनबंधु दयाल शङ्कर, जानि जन अपनाइये।

भवसार पार उतार मोकौं, निज स्वरूप दिखाइये ॥

जाने अजाने पाप मेरे, तिनहिं आप नसाइये।

कर जोरि भोरि निहोरि माँगों, बेगि दरस दिखाइये ।।

'देवीसहाय' सुनाय शिव सों, प्रेमसहित जे गावहीं।

भवबन्ध ते छुटि जाहिं ते नर, सदा अति सुख पावहीं ॥



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[Bhakt Charitra - Bhakt Katha/Kahani - Full Story] [bhaktaraaj pan0 deveesahaayajee]- Bhaktmaal


pan0 deveesahaayajeeka janm san0 1868 vi0 men pharrukhaabaad jileke antargat saraayameer naamak graamamen hua thaa. ye bada़e shivabhakt the. bhagavaan shivapar inaka atoot vishvaas tha kisee bhee aapattike a paड़nepar any kiseese bhee sahaayataakee yaachana n karake bhagavaan shankarapar hee nirbhar raha karate the. bhagavaan shankarane inhen kaee baar pratyaksh darshan bhee diye the. inake jeevanakee, anek alaukik ghatanaaonse inakee aadarsh shivabhakti prakat hotee hai. vriddhaavasthaamen to inaka ekamaatr kaam hee tha dinabhar shivamantraka jap, keertan aadi aur praatah evan raatrimen svarachit sulalit padondvaara bhagavaan shivakegunagaan karanaa. inhonne san0 1944 vi0 men shivasaayujy laabh karake ihaleela sanvaran kee. deveesahaayajeeke rache hue pad atyant marmasparsheeevan hridayagraahee hain. inaka ek sundar pad neeche diyaajaata hai-

deenabandhu dayaal shankar, jaani jan apanaaiye.

bhavasaar paar utaar mokaun, nij svaroop dikhaaiye ..

jaane ajaane paap mere, tinahin aap nasaaiye.

kar jori bhori nihori maangon, begi daras dikhaaiye ..

'deveesahaaya' sunaay shiv son, premasahit je gaavaheen.

bhavabandh te chhuti jaahin te nar, sada ati sukh paavaheen ..

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