⮪ All भक्त चरित्र

श्रीत्र्यम्बकराज की मार्मिक कथा
श्रीत्र्यम्बकराज की अधबुत कहानी - Full Story of श्रीत्र्यम्बकराज (हिन्दी)

[भक्त चरित्र -भक्त कथा/कहानी - Full Story] [श्रीत्र्यम्बकराज]- भक्तमाल


भैरव नामक एक कर्मनिष्ठ यजुर्वेदीय ब्राह्मण थे। इन्होंने वंशवृद्धिके लिये तुलजापुरकी भवानी देवीका अनुष्ठान किया। भवानी देवी प्रसन्न हुईं और नवीं रात्रिको प्रकट हुईं। देवीने तीन फल भैरवजीके हाथपर रखे और कहा-' इन्हें खा लो, इनसे तुम्हारे तीन पुत्र होंगे; इन तीनोंमें जो बीचका फल है, इससे तुम्हारे जो पुत्र होगा, उसके हाथपर त्रिशूलकी रेखाएँ होंगी।' भैरवजीके यथासमय तीन पुत्र हुए- नृसिंह, त्र्यम्बक और कौण्डिन्य । त्र्यम्बकके हाथपर सचमुच त्रिशूलकी तीन रेखाएँ थीं। भैरवजी इनपर कभी गुस्सा नहीं होते थे, इनकी कोई बात टालते भी नहीं थे। इन्हें उन्होंने खड़ी-पाटी भी नहीं दी, फिर विद्या कहाँ? इनका उपनयन तो हुआ, पर विवाह करानेके फेरमें इनके पिता नहीं पड़े। इन्होंने त्र्यम्बकके हाथका त्रिशूल इनकी माँ अम्बावतीकोदिखाकर कहा कि 'यह कोई महायोगी है।' त्र्यम्बकराज जब कुछ बड़े हुए, तब स्वयं इन्होंने अपनी इच्छासे ही कुछ अध्ययन किया। कुछ काल पश्चात् इनके पिता की मृत्यु हो गयी। त्र्यम्बकराजने अपने बड़े भाई नृसिंहसे उपदेश ग्रहण किया। कमलाकर नामक किसी सत्पुरुषने भी इन्हें प्रबोध कराया। बहुतोंका सङ्ग किया, पर कहीं इनका चित्त नहीं ठहरा। तब इन्होंने भगवती चण्डीकी उपासना की। सोलहवीं रातको एक पञ्चवर्षीया कुमारी प्रकट हुई। उसने कहा - 'सप्तशृङ्गीपर जाओ, वहाँ महामाया रहती हैं और इसलिये श्रीसिद्धेश भी वहीं विराजते हैं।' त्र्यम्बक सप्तशृङ्गीपर गये और ध्यान लगाकर बैठ गये। तीसरी रातमें अम्बा प्रसन्न हुईं। त्र्यम्बकराजने उनसे ब्रह्मज्ञान माँगा। करुणामयी भवानीने अपना कर कपोलमें स्पर्श किया, और एक चमत्कारहुआ । द्विजवेषमें श्रीसिद्धेश्वर भी प्रकट हुए। उन्होंने त्र्यम्बकराजको पाँच वचन बताये। उन्हींमें सारा ब्रह्मज्ञान बता दिया। पीछे एक अद्भुत प्रकाश दिखाया, जिसके सम्बन्धमें त्र्यम्बकराज अपने ग्रन्थमें कहते हैं कि 'वह प्रकाश अभीतक मेरी दृष्टिके सामने सारी सृष्टिमें है, उससे मेरे मनसहित सारी इन्द्रियाँ सदाके लिये निर्मल सुखपात्र बन गयीं। मैंने अनुष्ठान किया भवानीका, पर भवानीके साथ करुणालय शूलपाणि भी प्रसन्न हुए। मेरे लिये जगत् और मैं सब ब्रह्मानन्दसे भर गया।इसी ब्रह्मानन्दका जगत्को बोध करानेके लिये जगदम्बाने । मुझे आज्ञा दी।' उसी आज्ञाके अनुसार त्र्यम्बकराजने श्रीसिद्धेशद्वारा प्रदत्त पाँच महावाक्योंके आधारपर 'बालबोध' नामक एक ग्रन्थ लिखा। इसमें मुख्यतः ॐ की उपासना बतायी गयी है और उसके साथ योगमार्ग भी दर्शाया गया है। ग्रन्थ संवत् 1629 वि0 में लिखना आरम्भ हुआ और संवत् 1637 वि0 में समाप्त हुआ। इस ग्रन्थसे ‘सिद्धेशमतसम्प्रदाय' नामक एक सम्प्रदाय ही चल निकला।



You may also like these:

Bhakt Charitra डाकू भगत


shreetryambakaraaja ki marmik katha
shreetryambakaraaja ki adhbut kahani - Full Story of shreetryambakaraaja (hindi)

[Bhakt Charitra - Bhakt Katha/Kahani - Full Story] [shreetryambakaraaja]- Bhaktmaal


bhairav naamak ek karmanishth yajurvedeey braahman the. inhonne vanshavriddhike liye tulajaapurakee bhavaanee deveeka anushthaan kiyaa. bhavaanee devee prasann hueen aur naveen raatriko prakat hueen. deveene teen phal bhairavajeeke haathapar rakhe aur kahaa-' inhen kha lo, inase tumhaare teen putr honge; in teenonmen jo beechaka phal hai, isase tumhaare jo putr hoga, usake haathapar trishoolakee rekhaaen hongee.' bhairavajeeke yathaasamay teen putr hue- nrisinh, tryambak aur kaundiny . tryambakake haathapar sachamuch trishoolakee teen rekhaaen theen. bhairavajee inapar kabhee gussa naheen hote the, inakee koee baat taalate bhee naheen the. inhen unhonne khada़ee-paatee bhee naheen dee, phir vidya kahaan? inaka upanayan to hua, par vivaah karaaneke pheramen inake pita naheen pada़e. inhonne tryambakake haathaka trishool inakee maan ambaavateekodikhaakar kaha ki 'yah koee mahaayogee hai.' tryambakaraaj jab kuchh bada़e hue, tab svayan inhonne apanee ichchhaase hee kuchh adhyayan kiyaa. kuchh kaal pashchaat inake pita kee mrityu ho gayee. tryambakaraajane apane bada़e bhaaee nrisinhase upadesh grahan kiyaa. kamalaakar naamak kisee satpurushane bhee inhen prabodh karaayaa. bahutonka sang kiya, par kaheen inaka chitt naheen thaharaa. tab inhonne bhagavatee chandeekee upaasana kee. solahaveen raatako ek panchavarsheeya kumaaree prakat huee. usane kaha - 'saptashringeepar jaao, vahaan mahaamaaya rahatee hain aur isaliye shreesiddhesh bhee vaheen viraajate hain.' tryambak saptashringeepar gaye aur dhyaan lagaakar baith gaye. teesaree raatamen amba prasann hueen. tryambakaraajane unase brahmajnaan maangaa. karunaamayee bhavaaneene apana kar kapolamen sparsh kiya, aur ek chamatkaarahua . dvijaveshamen shreesiddheshvar bhee prakat hue. unhonne tryambakaraajako paanch vachan bataaye. unheenmen saara brahmajnaan bata diyaa. peechhe ek adbhut prakaash dikhaaya, jisake sambandhamen tryambakaraaj apane granthamen kahate hain ki 'vah prakaash abheetak meree drishtike saamane saaree srishtimen hai, usase mere manasahit saaree indriyaan sadaake liye nirmal sukhapaatr ban gayeen. mainne anushthaan kiya bhavaaneeka, par bhavaaneeke saath karunaalay shoolapaani bhee prasann hue. mere liye jagat aur main sab brahmaanandase bhar gayaa.isee brahmaanandaka jagatko bodh karaaneke liye jagadambaane . mujhe aajna dee.' usee aajnaake anusaar tryambakaraajane shreesiddheshadvaara pradatt paanch mahaavaakyonke aadhaarapar 'baalabodha' naamak ek granth likhaa. isamen mukhyatah oM kee upaasana bataayee gayee hai aur usake saath yogamaarg bhee darshaaya gaya hai. granth sanvat 1629 vi0 men likhana aarambh hua aur sanvat 1637 vi0 men samaapt huaa. is granthase ‘siddheshamatasampradaaya' naamak ek sampradaay hee chal nikalaa.

182 Views





Bhajan Lyrics View All

फूलों में सज रहे हैं, श्री वृन्दावन
और संग में सज रही है वृषभानु की
एक दिन वो भोले भंडारी बन कर के ब्रिज की
पारवती भी मना कर ना माने त्रिपुरारी,
तेरा पल पल बिता जाए रे
मुख से जप ले नमः शवाए
ना मैं मीरा ना मैं राधा,
फिर भी श्याम को पाना है ।
राधे राधे बोल, श्याम भागे चले आयंगे।
एक बार आ गए तो कबू नहीं जायेंगे ॥
सांवरे से मिलने का, सत्संग ही बहाना है,
चलो सत्संग में चलें, हमें हरी गुण गाना
सब दुख दूर हुए जब तेरा नाम लिया
कौन मिटाए उसे जिसको राखे पिया
हम प्रेम दीवानी हैं, वो प्रेम दीवाना।
ऐ उधो हमे ज्ञान की पोथी ना सुनाना॥
तेरा गम रहे सलामत मेरे दिल को क्या कमी
यही मेरी ज़िंदगी है, यही मेरी बंदगी है
सब हो गए भव से पार, लेकर नाम तेरा
नाम तेरा हरि नाम तेरा, नाम तेरा हरि नाम
मैं मिलन की प्यासी धारा
तुम रस के सागर रसिया हो
राधे तेरे चरणों की अगर धूल जो मिल जाए
सच कहता हू मेरी तकदीर बदल जाए
श्यामा तेरे चरणों की गर धूल जो मिल
सच कहता हूँ मेरी तकदीर बदल जाए॥
जगत में किसने सुख पाया
जो आया सो पछताया, जगत में किसने सुख
ज़रा छलके ज़रा छलके वृदावन देखो
ज़रा हटके ज़रा हटके ज़माने से देखो
मुझे चाहिए बस सहारा तुम्हारा,
के नैनों में गोविन्द नज़ारा तुम्हार
मैं तो तुम संग होरी खेलूंगी, मैं तो तुम
वा वा रे रासिया, वा वा रे छैला
शिव समा रहे मुझमें
और मैं शून्य हो रहा हूँ
कैसे जीऊं मैं राधा रानी तेरे बिना
मेरा मन ही न लगे श्यामा तेरे बिना
वृन्दावन धाम अपार, जपे जा राधे राधे,
राधे सब वेदन को सार, जपे जा राधे राधे।
नी मैं दूध काहे नाल रिडका चाटी चो
लै गया नन्द किशोर लै गया,
हो मेरी लाडो का नाम श्री राधा
श्री राधा श्री राधा, श्री राधा श्री
जग में सुन्दर है दो नाम, चाहे कृष्ण कहो
बोलो राम राम राम, बोलो श्याम श्याम
मोहे आन मिलो श्याम, बहुत दिन बीत गए।
बहुत दिन बीत गए, बहुत युग बीत गए ॥
तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे ,बलिहार
तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे ,बलिहार
मेरा अवगुण भरा शरीर, कहो ना कैसे
कैसे तारोगे प्रभु जी मेरो, प्रभु जी
मेरा यार यशुदा कुंवर हो चूका है
वो दिल हो चूका है जिगर हो चूका है
अपनी वाणी में अमृत घोल
अपनी वाणी में अमृत घोल
जिंदगी एक किराये का घर है,
एक न एक दिन बदलना पड़ेगा॥
प्रभु मेरे अवगुण चित ना धरो
समदर्शी प्रभु नाम तिहारो, चाहो तो पार

New Bhajan Lyrics View All

माँ ने खेल रचाया है हुन मौजा ही मौजा,
दर ते आप बुलाया है हुन मौजा ही मौजा,
खाली मोड़ी ना खोल किरपा दे बूहे,
संगता आइया ने दर ते खोल किरपा दे बूहे,
राम नाम जप ले,
एक यही संग जाई,
खाटूवाले तेरी यारी रास आ गई,
निकल रही थी जान बाबा सांस आ गई,
ॐ नमः शिवाय
मृगछालो पर वास करे, है शिव शंकर