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गोसेवाका एक अनूठा दृष्टान्त

मेरा नाम रेवावेन है और इस समय मेरी उम्र लगभग ७५ सालकी है। मेरे जन्मके पश्चात् बारह दिनोंमें ही मेरी माताश्रीका देहावसान हो गया था। मेरा लालन-पालन बड़ी कठिनाईसे हुआ था मेरे पतिदेव प्राथमिक विद्यालय में अध्यापक थे। थोड़ी खेती-बारी होनेसे में पशुपालन भी करती थी, परंतु मेरे यहाँ गाय नहीं थी।

जब मेरी उम्र ४५ सालकी हुई, तब कभी-कभी मेरे मनमें होता कि मेरे यहाँ एक ऐसी बया होती जिसकी माँ मर चुकी होती और मैं उसका लालन-पालन करती और उसे बड़ी करके गौ बनाती।

मेरे गाँवसे थोड़ी दूरीपर भरवाड़ लोगोंकी बस्ती थी। वहाँ आठ-दस भरवाड़ोंका कुटुम्ब रहता था। सब लोग गौ पालते थे। एक दिन कुछ कामसे मेरे पास एक भरवाड़का लड़का आया। मैंने पूछा कि क्या तुम्हारे यहाँ कोई बछिया है, जिसकी माँ मर गयी हो? तो उसने बताया कि आठ-दस दिन पहले एक गाय व्यायी थी, गायकी तो तत्काल मृत्यु हो गयी, परंतु उसकी बछिया जीवित है। मैंने उससे पूछा कि क्या वह बछिया मुझे मिल सकती है? उसने कहा आप कहें तो कल ही मैं आपको वह बछिया ला दूँ। मैंने हाँ कहा, तो वह भरवाड़ खुश हो गया।

अगले दिन भरवाड़ एक सुन्दर छोटी-सी बछियाको उठाकर मेरे पास लाया। बछिया इतनी कमजोर थी कि चल पानेमें और खड़े होनेमें असमर्थ थी। उसने कहा कि हमारे यहाँ इसे प्रतिदिन सेरभर दूध पिलाया जाता है, लेकिन हमारे पास बहुत सारी गौएँ हैं, इसलिये हमलोग इसकी देखभाल ठीक ढंगसे नहीं कर पाते। मैंने कहा कि मैं मुफ्तमें बछियाको नहीं ले सकती, अतः लो कुछ रुपये लेते जाओ।मैंने घरका सारा काम छोड़ दिया और बछियाको नहलाया और खूब अच्छी तरहसे साफ-सुथरा किया। इसके बाद एक सैर दूध पिलाया और उसके साथ कृमिवाली दवा पिलायी क्योंकि गायके बच्चोंकी त कीड़े पड़ जाते हैं। हर रोज दो समय सेरभर दूध पिलाना और तीसरे दिन कृमिवाली दवा पिलाना मेरा क्रम हो गया।

दस-बारह दिनमें मैं क्या देखती हूँ कि बछिया छलाँग मारकर खेलने लगी है। वह खूब स्वस्थ भी दिखने लगी। यह देखकर मुझे इतनी खुशी हुई कि मेरे हृदयमें आनन्दका सागर उमड़ पड़ा। मेरे दिलमें जो उल्लास हुआ, उसको बता पाना असम्भव है।

मैंने बहुत अच्छी तरहसे उसकी सेवा की। हरी हरी घास और अन्य चीजें खिलायीं। बछिया इतनी पुष्ट हो गयी कि मुझे बहुत आश्चर्य हुआ। साढ़े तीन सालके बीतने पर उसे एक बच्चा हुआ और बच्चेको पिलानेके बाद पाँच-छः लीटर दूध मिलता था। गोमाताने मेरी सेवाका बदला चुका दिया; क्योंकि गोमाता किसीका ऋण नहीं रखतीं - ऐसा मुझे प्रतीत हुआ। पुनः तीन सालके बाद गोमाता फिरसे व्यायीं। उस समय भी गोमाताने बहुत दूध दिया। अब में धीरे-धीरे पंचपन वर्षकी हो चली थी। अब मुझे गोपालनमें बड़ी परेशानी होने लगी थी, सो मैंने उस भरवाड़को बुलाया और वह गाय उसे मुफ्त में दे दी।

यह बताते हुए मैं पुलकित हो जाती हूँ कि जब भी मैं अपने खेत देखने जाती हूँ तो गायोंका झुण्ड मिल जाता है और मेरी वह गाय मुझे पहचान लेती है तथा रंभाने लगती है। उसका मुझसे कितना प्रेम था यह सोच-सोचकर मैं प्रसन्न हो उठती हूँ। मेरे जीवनकी यह सत्य घटना है।
[ श्रीमती रेवावेन किशोरभाई पटेल ]



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gosevaaka ek anootha drishtaanta

mera naam revaaven hai aur is samay meree umr lagabhag 75 saalakee hai. mere janmake pashchaat baarah dinonmen hee meree maataashreeka dehaavasaan ho gaya thaa. mera laalana-paalan bada़ee kathinaaeese hua tha mere patidev praathamik vidyaalay men adhyaapak the. thoda़ee khetee-baaree honese men pashupaalan bhee karatee thee, parantu mere yahaan gaay naheen thee.

jab meree umr 45 saalakee huee, tab kabhee-kabhee mere manamen hota ki mere yahaan ek aisee baya hotee jisakee maan mar chukee hotee aur main usaka laalana-paalan karatee aur use bada़ee karake gau banaatee.

mere gaanvase thoda़ee dooreepar bharavaada़ logonkee bastee thee. vahaan aatha-das bharavaada़onka kutumb rahata thaa. sab log gau paalate the. ek din kuchh kaamase mere paas ek bharavaada़ka lada़ka aayaa. mainne poochha ki kya tumhaare yahaan koee bachhiya hai, jisakee maan mar gayee ho? to usane bataaya ki aatha-das din pahale ek gaay vyaayee thee, gaayakee to tatkaal mrityu ho gayee, parantu usakee bachhiya jeevit hai. mainne usase poochha ki kya vah bachhiya mujhe mil sakatee hai? usane kaha aap kahen to kal hee main aapako vah bachhiya la doon. mainne haan kaha, to vah bharavaada़ khush ho gayaa.

agale din bharavaada़ ek sundar chhotee-see bachhiyaako uthaakar mere paas laayaa. bachhiya itanee kamajor thee ki chal paanemen aur khada़e honemen asamarth thee. usane kaha ki hamaare yahaan ise pratidin serabhar doodh pilaaya jaata hai, lekin hamaare paas bahut saaree gauen hain, isaliye hamalog isakee dekhabhaal theek dhangase naheen kar paate. mainne kaha ki main muphtamen bachhiyaako naheen le sakatee, atah lo kuchh rupaye lete jaao.mainne gharaka saara kaam chhoda़ diya aur bachhiyaako nahalaaya aur khoob achchhee tarahase saapha-suthara kiyaa. isake baad ek sair doodh pilaaya aur usake saath krimivaalee dava pilaayee kyonki gaayake bachchonkee t keeda़e pada़ jaate hain. har roj do samay serabhar doodh pilaana aur teesare din krimivaalee dava pilaana mera kram ho gayaa.

dasa-baarah dinamen main kya dekhatee hoon ki bachhiya chhalaang maarakar khelane lagee hai. vah khoob svasth bhee dikhane lagee. yah dekhakar mujhe itanee khushee huee ki mere hridayamen aanandaka saagar umada़ pada़aa. mere dilamen jo ullaas hua, usako bata paana asambhav hai.

mainne bahut achchhee tarahase usakee seva kee. haree haree ghaas aur any cheejen khilaayeen. bachhiya itanee pusht ho gayee ki mujhe bahut aashchary huaa. saadha़e teen saalake beetane par use ek bachcha hua aur bachcheko pilaaneke baad paancha-chhah leetar doodh milata thaa. gomaataane meree sevaaka badala chuka diyaa; kyonki gomaata kiseeka rin naheen rakhateen - aisa mujhe prateet huaa. punah teen saalake baad gomaata phirase vyaayeen. us samay bhee gomaataane bahut doodh diyaa. ab men dheere-dheere panchapan varshakee ho chalee thee. ab mujhe gopaalanamen bada़ee pareshaanee hone lagee thee, so mainne us bharavaada़ko bulaaya aur vah gaay use mupht men de dee.

yah bataate hue main pulakit ho jaatee hoon ki jab bhee main apane khet dekhane jaatee hoon to gaayonka jhund mil jaata hai aur meree vah gaay mujhe pahachaan letee hai tatha ranbhaane lagatee hai. usaka mujhase kitana prem tha yah socha-sochakar main prasann ho uthatee hoon. mere jeevanakee yah saty ghatana hai.
[ shreematee revaaven kishorabhaaee patel ]

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