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सरयूमैयाकी कृपा

वर्ष २००६ ई० के श्रावणमासके अन्तिम सप्ताहकी बात है, मेरे बड़े जीजाजी एवं बहनने अयोध्यामें भागवत सप्ताह-पारायणका आयोजन करवाया था, जिसमें हम सभी पारिवारिक सम्बन्धियोंको शामिल होना था। तदनुसार दि० ३०-७-२००६ ई० को मैं और मेरी पत्नी दुमकासे रवाना होकर ३१-७-२००६ ई० को अयोध्या पहुँचे, जो 'किशोरीजी' की महती कृपाका ही परिणाम था, अन्यथा उनकी कृपाके बिना उस पावन भूमिका स्पर्श सबको सुलभ नहीं होता । १ अगस्तको हमने सरयूजीमें स्नान किया और कुछ खास-खास जगहों का दर्शन-लाभ लिया; क्योंकि २ अगस्तसे भागवत कथा प्रारम्भ होनी थी। भागवत कथाके मध्य ही एकादशीकी पूर्व रात्रिमें मेरा विचार एक बार पुनः सरयू स्नानका हुआ।

मैं एकादशीकी सुबह - सुबह अकेला ही स्नान करने जाना चाह रहा था, लेकिन पत्नीने जिद की कि वह भी पुनः स्नानको जायगी। हमलोग सभी जानकी महल ट्रस्टके मोहन भवनमें ठहरे थे। श्रावणीमेला एवं १ अगस्तका अनुभव बता रहा था कि घाटके किनारे सूखे वस्त्रोंकी रखवाली करना एवं गीले वस्त्रोंको बदलना दुष्कर होगा। अतः मैंने और मेरी पत्नीने निश्चय किया कि सरयू स्नान करके गीले वस्त्रोंमें ही रिक्शेसे लौट आयेंगे और अपने निवासपर आकर कपड़े बदल लेंगे। अल्प एवं जरूरी कपड़ोंमें हमदोनों रिक्शेसे घाटके किनारे गये। मैंने अपनी हाफपैंटकी पॉकेटमें कुछ रेजगारी दीनोंको देनेहेतु, रिक्शाखर्च एवं अपने रूमकी चाभी (जिसमें माँके अलग रूमकी चाभी भी थी) एक पॉलीथीनमें लपेटकर रख ली थी। मेरी पत्नीने पानीके बहावको देखते हुए मेरा हाथ पकड़े हुए ही सरयूजीमें प्रवेश किया एवं कमर-नाभितक पानीमें हमलोग डुबकी लगाने लगे। काफी बहाव था, पाँव जम नहीं रहा था एवं पानीमें आगे खतरेको देखते हुए बाँस-बल्लीसे रोक बना दीगयी थी। हमलोग उस बाँसतक पहुँचकर पूरे बहाव में नहा रहे थे। कब मेरी पॉकेटसे पॉलीथीनकी थैली बाहर निकली, पता नहीं चला। डुबकी पूरीकर मैंने पॉकेट टटोला तो सन्न रह गया। हे भगवती ! यह क्या हुआ! पैसा गया सो गया, बिना चाभीके अपना रूम कैसे खोलेंगे? दो-दो ताले बरबाद होंगे, जो लोग नहीं जानते हैं, वे भी जान जायँगे एवं हमलोग हँसीका पात्र बनेंगे। ऐसा सोचते-सोचते २-४ मिनट बीत गये। निराश होकर हमलोगोंने बोतलमें सरयूजीका जल भरा । ४-५ फीटके दायरेमें मैंने पैरसे नीचे काफी टटोला। एक जगह कुछ आभास-सा हुआ, झुककर उठानेसे नाकमें पानी भर-भर आता था, किसी तरह उठाया तो एक सखुआ या पीपलका-सा पत्ता हाथ आया। मैं पुनः प्रयास करता रहा एवं मुँहसे यही बार-बार हमदोनों कहते रहे कि हे सरयूमैया ! आज तो काफी शर्मिन्दगी उठानी पड़ेगी एवं जीजाजीसे भी बात सुननी पड़ेगी। पुनः पैरके पास कुछ कागज जैसा लगा, झुककर बड़ी मुश्किलसे उठाया तो मारे खुशीके मैं चौंक पड़ा। जो पॉलीथीनकी थैली चाभी एवं रुपये-पैसोंके साथ गिरी थी, वही हाथ आ गयी। यह साक्षात् 'सरयूमैया' का ही चमत्कार था; अन्यथा उतने तेज प्रवाहमें गिरी हुई चीज २-३ फुटके दायरेमें मिलनी कैसे सम्भव थी !

हम दोनोंका कोई काम नहीं बिगड़ा । सरयू मैयाकी कृपाकी चर्चा करते हुए हमलोग रिक्शेसे वापस अपने निवासपर आये। अगर सरयूमैयाने कृपा न की होती तो पता नहीं हम लोगोंकी क्या दशा होती ! उस दिनसे नहाते समय मनसे यही आवाज आती है

सरयू मैया की जय, चारों भैया की जय,

खेल खिलैया की जय

जय जय अवध धाम, जय-जय श्रीराम ॥

[ श्रीराधेश्यामजी केडिया ]



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sarayoomaiyaakee kripaa

varsh 2006 ee0 ke shraavanamaasake antim saptaahakee baat hai, mere bada़e jeejaajee evan bahanane ayodhyaamen bhaagavat saptaaha-paaraayanaka aayojan karavaaya tha, jisamen ham sabhee paarivaarik sambandhiyonko shaamil hona thaa. tadanusaar di0 30-7-2006 ee0 ko main aur meree patnee dumakaase ravaana hokar 31-7-2006 ee0 ko ayodhya pahunche, jo 'kishoreejee' kee mahatee kripaaka hee parinaam tha, anyatha unakee kripaake bina us paavan bhoomika sparsh sabako sulabh naheen hota . 1 agastako hamane sarayoojeemen snaan kiya aur kuchh khaasa-khaas jagahon ka darshana-laabh liyaa; kyonki 2 agastase bhaagavat katha praarambh honee thee. bhaagavat kathaake madhy hee ekaadasheekee poorv raatrimen mera vichaar ek baar punah sarayoo snaanaka huaa.

main ekaadasheekee subah - subah akela hee snaan karane jaana chaah raha tha, lekin patneene jid kee ki vah bhee punah snaanako jaayagee. hamalog sabhee jaanakee mahal trastake mohan bhavanamen thahare the. shraavaneemela evan 1 agastaka anubhav bata raha tha ki ghaatake kinaare sookhe vastronkee rakhavaalee karana evan geele vastronko badalana dushkar hogaa. atah mainne aur meree patneene nishchay kiya ki sarayoo snaan karake geele vastronmen hee rikshese laut aayenge aur apane nivaasapar aakar kapada़e badal lenge. alp evan jarooree kapada़onmen hamadonon rikshese ghaatake kinaare gaye. mainne apanee haaphapaintakee paॉketamen kuchh rejagaaree deenonko denehetu, rikshaakharch evan apane roomakee chaabhee (jisamen maanke alag roomakee chaabhee bhee thee) ek paॉleetheenamen lapetakar rakh lee thee. meree patneene paaneeke bahaavako dekhate hue mera haath pakada़e hue hee sarayoojeemen pravesh kiya evan kamara-naabhitak paaneemen hamalog dubakee lagaane lage. kaaphee bahaav tha, paanv jam naheen raha tha evan paaneemen aage khatareko dekhate hue baansa-balleese rok bana deegayee thee. hamalog us baansatak pahunchakar poore bahaav men naha rahe the. kab meree paॉketase paॉleetheenakee thailee baahar nikalee, pata naheen chalaa. dubakee pooreekar mainne paॉket tatola to sann rah gayaa. he bhagavatee ! yah kya huaa! paisa gaya so gaya, bina chaabheeke apana room kaise kholenge? do-do taale barabaad honge, jo log naheen jaanate hain, ve bhee jaan jaayange evan hamalog hanseeka paatr banenge. aisa sochate-sochate 2-4 minat beet gaye. niraash hokar hamalogonne botalamen sarayoojeeka jal bhara . 4-5 pheetake daayaremen mainne pairase neeche kaaphee tatolaa. ek jagah kuchh aabhaasa-sa hua, jhukakar uthaanese naakamen paanee bhara-bhar aata tha, kisee tarah uthaaya to ek sakhua ya peepalakaa-sa patta haath aayaa. main punah prayaas karata raha evan munhase yahee baara-baar hamadonon kahate rahe ki he sarayoomaiya ! aaj to kaaphee sharmindagee uthaanee pada़egee evan jeejaajeese bhee baat sunanee pada़egee. punah pairake paas kuchh kaagaj jaisa laga, jhukakar bada़ee mushkilase uthaaya to maare khusheeke main chaunk pada़aa. jo paॉleetheenakee thailee chaabhee evan rupaye-paisonke saath giree thee, vahee haath a gayee. yah saakshaat 'sarayoomaiyaa' ka hee chamatkaar thaa; anyatha utane tej pravaahamen giree huee cheej 2-3 phutake daayaremen milanee kaise sambhav thee !

ham dononka koee kaam naheen bigada़a . sarayoo maiyaakee kripaakee charcha karate hue hamalog rikshese vaapas apane nivaasapar aaye. agar sarayoomaiyaane kripa n kee hotee to pata naheen ham logonkee kya dasha hotee ! us dinase nahaate samay manase yahee aavaaj aatee hai

sarayoo maiya kee jay, chaaron bhaiya kee jay,

khel khilaiya kee jaya

jay jay avadh dhaam, jaya-jay shreeraam ..

[ shreeraadheshyaamajee kediya ]

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