⮪ All भक्त चरित्र

भक्तवर उमापतिजी त्रिपाठी की मार्मिक कथा
भक्तवर उमापतिजी त्रिपाठी की अधबुत कहानी - Full Story of भक्तवर उमापतिजी त्रिपाठी (हिन्दी)

[भक्त चरित्र -भक्त कथा/कहानी - Full Story] [भक्तवर उमापतिजी त्रिपाठी]- भक्तमाल


पण्डित उमापतिजी महाराज महान् विद्वान्, दिग्विजयी शास्त्री और भगवान् रामके परम भक्त थे। उनका जन्म गोरखपुर जनपदमें भगवती सरयूके परमपवित्र तटपर पिण्डीग्राममें संवत् 1851 वि0में हुआ था। वे बाल्यकालसे प्रतिभासम्पन्न व्यक्ति थे, उनके चरित्र विकास और विद्याध्ययनपर उनके विद्वान् और संस्कृतज्ञ पिता पण्डित शंकरपतिजी त्रिपाठीका विशेष प्रभाव पड़ा था। जीविकोपार्जनकी दृष्टिसे उनका परिवार छपराके महुआ ग्राममें आ गया। उमापतिजीके पाण्डित्यसे सारा-का सारा बिहार प्रान्त और उत्तर प्रदेश आश्चर्यचकित उठा। 'मिथिला शिथिला जाता समायाते उमापती' की उक्ति बिहारमें अब भी प्रसिद्ध हैं। ये उच्च कोटिके विद्वान् थे। व्याकरण शास्त्रके अर्वाचीन मतका खण्डन करके प्राचीन मतके समर्थनके लिये उन्होंने दो बड़े ही मनोरम ग्रन्थ लिखे थे। वे सफल कवि भी थे; उन्होंने संस्कृत भाषामें भगवान् श्रीराम और श्रीसीताके स्तवनमें अनेक श्लोकोंकी रचना की है, जो बहुत सरस और पाण्डित्यपूर्ण हैं। काशीमें कुछ कालतक निवास करनेके बाद उन्होंने विन्ध्याचलकी यात्रा की, भगवतो विन्ध्यवासिनीने साक्षात् दर्शन दिया। देवीकी प्रेरणासे उन्होंने अयोध्यामें आश्रमकी स्थापना करके स्थायीरूपसे निवास किया। अयोध्यानरेश कविवर मानसिंह द्विजदेव तथा आगरा और अवधप्रातके प्रसिद्ध नरेश उनको बड़ी श्रद्धा और आदरकी दृष्टिसे देखते थे।

वे भगवान् रामकी उपासना गुरु-भावसे करते थे।रामको अपना शिष्य मानते थे। वे गलेकी पहनी हुई माला उनको पहनाते थे। अयोध्याकी संतमण्डली और भक्त-मण्डलीमें खलबली मच गयी कि एक वृद्ध ब्राह्मण भगवान् रामके प्रति ऐसा अनुचित व्यवहार करते हैं। लोगोंने पण्डितजीसे इस विषयमें शंका की। उन्होंने कहा कि आपलोग भगवद्-विग्रह मेरे दरवाजेपर लायें; यदि भगवान् मेरे हाथसे माला ग्रहण कर लें तो मेरी निष्ठा उचित समझियेगा। शोभायात्रा निकाली गयी। भगवान्का रथ उनके दरवाजेपर पहुँच गया; भक्त माला लिये खड़ा रहे और भगवान् खयाल न करें। सबसे बड़ी बात तो यह थी कि भक्तने भगवान्‌को शिष्य भी तो माना था, गुरुका अपमान भगवान्से हो? दशरथनन्दन, अयोध्यापतिका मस्तक नत हो गया, रामकी चिन्मय प्रतिमाने हाथ जोड़कर प्रणाम किया, माला लेकर गलेमें डाल ली, अयोध्यानगरी उमापति-ऐसे परमभागवतकी उपस्थितिसे कृतार्थ हो उठी।

भगवती मिथिलेशनन्दिनीके चरणकमलोंमें उनकी अपार -निष्ठा थी। एक बार कुछ संत आये, उन्होंने कार्तिक मास में कटहल माँगा; पण्डितजीने जानकीजीसे प्रार्थना की, भण्डार कटहलसे परिपूर्ण हो उठा। एक बार घरमें चूड़ी पहनानेवाली आयी, घरमें दो स्त्रियाँ थीं; उसने कहा कि - मैंने तीनको चूड़ियाँ पहनायी हैं। तीसरी स्त्री जानकीजी थीं! कितनी पूर्ण भक्ति-भावना थी उनकी। संवत् 1930 वि0 में उन्होंने भगवान्के धामकी यात्रा की।



You may also like these:

Bhakt Charitra डाकू भगत


bhaktavar umaapatijee tripaathee ki marmik katha
bhaktavar umaapatijee tripaathee ki adhbut kahani - Full Story of bhaktavar umaapatijee tripaathee (hindi)

[Bhakt Charitra - Bhakt Katha/Kahani - Full Story] [bhaktavar umaapatijee tripaathee]- Bhaktmaal


pandit umaapatijee mahaaraaj mahaan vidvaan, digvijayee shaastree aur bhagavaan raamake param bhakt the. unaka janm gorakhapur janapadamen bhagavatee sarayooke paramapavitr tatapar pindeegraamamen sanvat 1851 vi0men hua thaa. ve baalyakaalase pratibhaasampann vyakti the, unake charitr vikaas aur vidyaadhyayanapar unake vidvaan aur sanskritajn pita pandit shankarapatijee tripaatheeka vishesh prabhaav pada़a thaa. jeevikopaarjanakee drishtise unaka parivaar chhaparaake mahua graamamen a gayaa. umaapatijeeke paandityase saaraa-ka saara bihaar praant aur uttar pradesh aashcharyachakit uthaa. 'mithila shithila jaata samaayaate umaapatee' kee ukti bihaaramen ab bhee prasiddh hain. ye uchch kotike vidvaan the. vyaakaran shaastrake arvaacheen mataka khandan karake praacheen matake samarthanake liye unhonne do bada़e hee manoram granth likhe the. ve saphal kavi bhee the; unhonne sanskrit bhaashaamen bhagavaan shreeraam aur shreeseetaake stavanamen anek shlokonkee rachana kee hai, jo bahut saras aur paandityapoorn hain. kaasheemen kuchh kaalatak nivaas karaneke baad unhonne vindhyaachalakee yaatra kee, bhagavato vindhyavaasineene saakshaat darshan diyaa. deveekee preranaase unhonne ayodhyaamen aashramakee sthaapana karake sthaayeeroopase nivaas kiyaa. ayodhyaanaresh kavivar maanasinh dvijadev tatha aagara aur avadhapraatake prasiddh naresh unako bada़ee shraddha aur aadarakee drishtise dekhate the.

ve bhagavaan raamakee upaasana guru-bhaavase karate the.raamako apana shishy maanate the. ve galekee pahanee huee maala unako pahanaate the. ayodhyaakee santamandalee aur bhakta-mandaleemen khalabalee mach gayee ki ek vriddh braahman bhagavaan raamake prati aisa anuchit vyavahaar karate hain. logonne panditajeese is vishayamen shanka kee. unhonne kaha ki aapalog bhagavad-vigrah mere daravaajepar laayen; yadi bhagavaan mere haathase maala grahan kar len to meree nishtha uchit samajhiyegaa. shobhaayaatra nikaalee gayee. bhagavaanka rath unake daravaajepar pahunch gayaa; bhakt maala liye khada़a rahe aur bhagavaan khayaal n karen. sabase bada़ee baat to yah thee ki bhaktane bhagavaan‌ko shishy bhee to maana tha, guruka apamaan bhagavaanse ho? dasharathanandan, ayodhyaapatika mastak nat ho gaya, raamakee chinmay pratimaane haath joda़kar pranaam kiya, maala lekar galemen daal lee, ayodhyaanagaree umaapati-aise paramabhaagavatakee upasthitise kritaarth ho uthee.

bhagavatee mithileshanandineeke charanakamalonmen unakee apaar -nishtha thee. ek baar kuchh sant aaye, unhonne kaartik maas men katahal maangaa; panditajeene jaanakeejeese praarthana kee, bhandaar katahalase paripoorn ho uthaa. ek baar gharamen chooda़ee pahanaanevaalee aayee, gharamen do striyaan theen; usane kaha ki - mainne teenako chooड़iyaan pahanaayee hain. teesaree stree jaanakeejee theen! kitanee poorn bhakti-bhaavana thee unakee. sanvat 1930 vi0 men unhonne bhagavaanke dhaamakee yaatra kee.

106 Views





Bhajan Lyrics View All

वृन्दावन धाम अपार, जपे जा राधे राधे,
राधे सब वेदन को सार, जपे जा राधे राधे।
दुनिया से मैं हारा तो आया तेरे दवार,
यहाँ से जो मैं हारा तो कहा जाऊंगा मैं
Ye Saare Khel Tumhare Hai Jag
Kahta Khel Naseebo Ka
रंगीलो राधावल्लभ लाल, जै जै जै श्री
विहरत संग लाडली बाल, जै जै जै श्री
ये सारे खेल तुम्हारे है
जग कहता खेल नसीबों का
ऐसी होली तोहे खिलाऊँ
दूध छटी को याद दिलाऊँ
मैं तो तुम संग होरी खेलूंगी, मैं तो तुम
वा वा रे रासिया, वा वा रे छैला
राधे राधे बोल, श्याम भागे चले आयंगे।
एक बार आ गए तो कबू नहीं जायेंगे ॥
सांवरिया है सेठ ,मेरी राधा जी सेठानी
यह तो सारी दुनिया जाने है
साँवरिया ऐसी तान सुना,
ऐसी तान सुना मेरे मोहन, मैं नाचू तू गा ।
बोल कान्हा बोल गलत काम कैसे हो गया,
बिना शादी के तू राधे श्याम कैसे हो गया
दाता एक राम, भिखारी सारी दुनिया ।
राम एक देवता, पुजारी सारी दुनिया ॥
मेरी चुनरी में पड़ गयो दाग री कैसो चटक
श्याम मेरी चुनरी में पड़ गयो दाग री
मुझे रास आ गया है, तेरे दर पे सर झुकाना
तुझे मिल गया पुजारी, मुझे मिल गया
हर साँस में हो सुमिरन तेरा,
यूँ बीत जाये जीवन मेरा
मैं मिलन की प्यासी धारा
तुम रस के सागर रसिया हो
तुम रूठे रहो मोहन,
हम तुमको मन लेंगे
ਮੇਰੇ ਕਰਮਾਂ ਵੱਲ ਨਾ ਵੇਖਿਓ ਜੀ,
ਕਰਮਾਂ ਤੋਂ ਸ਼ਾਰਮਾਈ ਹੋਈ ਆਂ
शिव समा रहे मुझमें
और मैं शून्य हो रहा हूँ
लाली की सुनके मैं आयी
कीरत मैया दे दे बधाई
कारे से लाल बनाए गयी रे,
गोरी बरसाने वारी
वृंदावन में हुकुम चले बरसाने वाली का,
कान्हा भी दीवाना है श्री श्यामा
कैसे जीऊं मैं राधा रानी तेरे बिना
मेरा मन ही न लगे श्यामा तेरे बिना
सत्यम शिवम सुन्दरम
सत्य ही शिव है, शिव ही सुन्दर है
जगत में किसने सुख पाया
जो आया सो पछताया, जगत में किसने सुख
राधे तु कितनी प्यारी है ॥
तेरे संग में बांके बिहारी कृष्ण
जय राधे राधे, राधे राधे
जय राधे राधे, राधे राधे
बृज के नंदलाला राधा के सांवरिया,
सभी दुःख दूर हुए, जब तेरा नाम लिया।
ज़री की पगड़ी बाँधे, सुंदर आँखों वाला,
कितना सुंदर लागे बिहारी कितना लागे
मोहे आन मिलो श्याम, बहुत दिन बीत गए।
बहुत दिन बीत गए, बहुत युग बीत गए ॥

New Bhajan Lyrics View All

तू ही मेरी है मोहब्बत तू मेरी चाहत है,
तेरा कीर्तन तेरा भजन तू मेरी आदत है,
तू श्याम का सुमिंरन कर, सब दुख कट
यही श्याम नाम तुझको, भव पार लगायेगा...
सुनले सांवरें अर्ज़ी, सुनले सांवरें
कबुल कर ना कर, आगे तेरी मर्ज़ी ,
ये तो प्रेम की बात है उधो,
बंदगी तेरे बस की नहीं है,
देखे री मैंने दो झूले मतवाले,
एक पे झूले डमरू वाले एक पे मुरली वाले...