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भक्तवर पण्डित श्रीहरनारायणजी की मार्मिक कथा
भक्तवर पण्डित श्रीहरनारायणजी की अधबुत कहानी - Full Story of भक्तवर पण्डित श्रीहरनारायणजी (हिन्दी)

[भक्त चरित्र -भक्त कथा/कहानी - Full Story] [भक्तवर पण्डित श्रीहरनारायणजी]- भक्तमाल


भक्तवर हरनारायणजीका जन्म एक कुलीन ब्राह्मण परिवार में मेरठ जनपदके धनोरा ग्राममें हुआ था। उन्होंने कुछ दिनोंतक घरपर विद्याध्ययन करनेके पश्चात् काशीकी यात्रा की। काशीमें विद्या पढ़नेके बाद वे घर चले आये। विवाह होनेके पश्चात् वे सपत्नीक धनोरासे बुलन्दशहर के नथैला ग्राममें चले आये वर्णाश्रमधर्मको मर्यादासे जीवनको पूर्ण संयमितकर वे श्रीभगवान्‌के भजनमें लग गये। वे नित्य नियमपूर्वक भगवान्के मधुर नामका कीर्तन किया करते थे। उन्होंने आजीवन इस पवित्र नियमका पालन किया। वे पवित्रता और आचरणकी शुद्धताका विशेष ध्यान रखते थे। वे नित्य 108 बार शालग्रामजीको साष्टाङ्ग दण्डवत् कर 108 परिक्रमा करते थे। परिक्रमा करते समय विष्णुसहस्त्रनामका पाठ भी करते चलते थे। कभी-कभी मस्तीसे नाचने और गाने लगते थे तो कभी प्रेमोन्मत्त और विह्वल होकर भगवान्के श्रीविग्रहके सामने रोने लगते थे। उनका जीवन भगवान्‌के श्रीचरणों में समर्पित था, वे अपनी छोटी-सी छोटी क्रियामें भी भगवन्नामका स्मरण नहीं भूलते थे। विनम्रता,क्षमा और त्यागके तो वे मूर्तिमान् रूप ही थे। जीवमात्रके प्रति उनमें करुणा और दया तथा सहानुभूतिके भाव उमड़ते रहते थे। वे अपनी माताकी सेवा-शुश्रूषामें बड़ी अभिरुचि रखते थे। उनकी गुरु-निष्ठा तो सर्वथा स्तुत्य और सराहनीय ही थी। गङ्गा, गुरु और ब्राह्मणके प्रति वे बड़ा आदर भाव रखते थे। लोगोंको सदाचार और पवित्र आचरणका उपदेश देते थे। एक बार उनके उपास्य शालग्रामजीका श्रीविग्रह कहीं खो सा गया। उन्होंने विरहमें कई दिनतक अत्र जल नहीं ग्रहण किया। श्रीविग्रहके मिलनेपर ही भगवान्‌को भोग लगाकर उन्होंने प्रसाद लिया। उनमें नाममात्रको भी लोभ नहीं था। एक बार हरिद्वारमें किसी श्रद्धालु भक्तने उनके पैरपर सौ रुपयेका एक नोट रख दिया। हरनारायणजी तो पूरे निःस्पृह थे। जब उन्हें पता चला कि यह सौ रुपयेका नोट है, तब उन्होंने उसे श्रीधरजी महाराजके चरणोंपर चढ़ा दिया। वे सीधे-सादे भक्त थे। उनका तो विश्वपति भगवान्से प्रेम था। माया उनसे कोसों दूर रही। उन्होंने चारों धामकी पैदल यात्रा की थी। उन्होंने ऋषिकेशमें शरीर त्याग किया।



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bhaktavar haranaaraayanajeeka janm ek kuleen braahman parivaar men merath janapadake dhanora graamamen hua thaa. unhonne kuchh dinontak gharapar vidyaadhyayan karaneke pashchaat kaasheekee yaatra kee. kaasheemen vidya padha़neke baad ve ghar chale aaye. vivaah honeke pashchaat ve sapatneek dhanoraase bulandashahar ke nathaila graamamen chale aaye varnaashramadharmako maryaadaase jeevanako poorn sanyamitakar ve shreebhagavaan‌ke bhajanamen lag gaye. ve nity niyamapoorvak bhagavaanke madhur naamaka keertan kiya karate the. unhonne aajeevan is pavitr niyamaka paalan kiyaa. ve pavitrata aur aacharanakee shuddhataaka vishesh dhyaan rakhate the. ve nity 108 baar shaalagraamajeeko saashtaang dandavat kar 108 parikrama karate the. parikrama karate samay vishnusahastranaamaka paath bhee karate chalate the. kabhee-kabhee masteese naachane aur gaane lagate the to kabhee premonmatt aur vihval hokar bhagavaanke shreevigrahake saamane rone lagate the. unaka jeevan bhagavaan‌ke shreecharanon men samarpit tha, ve apanee chhotee-see chhotee kriyaamen bhee bhagavannaamaka smaran naheen bhoolate the. vinamrata,kshama aur tyaagake to ve moortimaan roop hee the. jeevamaatrake prati unamen karuna aur daya tatha sahaanubhootike bhaav umada़te rahate the. ve apanee maataakee sevaa-shushrooshaamen bada़ee abhiruchi rakhate the. unakee guru-nishtha to sarvatha stuty aur saraahaneey hee thee. ganga, guru aur braahmanake prati ve bada़a aadar bhaav rakhate the. logonko sadaachaar aur pavitr aacharanaka upadesh dete the. ek baar unake upaasy shaalagraamajeeka shreevigrah kaheen kho sa gayaa. unhonne virahamen kaee dinatak atr jal naheen grahan kiyaa. shreevigrahake milanepar hee bhagavaan‌ko bhog lagaakar unhonne prasaad liyaa. unamen naamamaatrako bhee lobh naheen thaa. ek baar haridvaaramen kisee shraddhaalu bhaktane unake pairapar sau rupayeka ek not rakh diyaa. haranaaraayanajee to poore nihsprih the. jab unhen pata chala ki yah sau rupayeka not hai, tab unhonne use shreedharajee mahaaraajake charanonpar chadha़a diyaa. ve seedhe-saade bhakt the. unaka to vishvapati bhagavaanse prem thaa. maaya unase koson door rahee. unhonne chaaron dhaamakee paidal yaatra kee thee. unhonne rishikeshamen shareer tyaag kiyaa.

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