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महात्मा श्रीअग्रदासजी की मार्मिक कथा
महात्मा श्रीअग्रदासजी की अधबुत कहानी - Full Story of महात्मा श्रीअग्रदासजी (हिन्दी)

[भक्त चरित्र -भक्त कथा/कहानी - Full Story] [महात्मा श्रीअग्रदासजी]- भक्तमाल


आप श्रीकृष्णदासजी पयहारीजी महाराजके शिष्य थे, जिन्होंने जयपुरमें गळता नामक प्रसिद्ध स्थानपर पधारकर तत्कालीन जयपुर-नरेशको वैष्णव बनाया और वहीँ पर पहाड़में धूनी स्थापित की, जो अभीतक चालू है। श्रीपयहारीजी महाराजके बड़े शिष्य श्रीकीलदासजी तो गळतामें विराजे थे और इन दूसरे श्री अग्रदासजी महाराजने जयपुरके पास करीब तीस मील दूर स्टेशन गोरयोंके निकट रैवासा नामक स्थान स्थापित किया और ये वहीं विराजे। रैवासाकी गद्दी प्रसिद्ध है। श्री अग्रस्वामीजीका जन्मोत्सव जयपुरमें फाल्गुन शुक्ला 2 को बड़े धूमधामसे मनाया जाता है।

आपके विषयमें यह पद प्रचलित है—

रस बोध विपुल आनंदघन सील, दया,

छमा तोष धन जन मानद अमान हैं ॥

मेटि रुक्ष ज्ञान महामाधुर्य प्रधान जिन्ह

कीन्हों अग्रसागर सो विदित जहान हैं।

लीनों मथि सार ध्यान मंजरी श्रृंगार सब

भेदी अनभेदी पढ़ें जानत सज्ञान हैं।

आपकी स्वरचित 72 कुण्डलियोंमेंसे एक यह है -

सदा न फूल तोरई, सदा न साँवन होय।

सदा न सावन होय, संत जन सदा न आवैं।

सदा न रहे सुबुद्धि, सदा गोबिंद जस गावैं ॥

सदा न पच्छी केलि करें इह तरुवर ऊपर।

सदा न स्याही रहे सफेदी आवे भू पर ॥

अग्र कहै हरि मिलन कौं तन मन डारौ खोय।

सदा न फूले तोरई, सदा न साँवन होय ॥



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[Bhakt Charitra - Bhakt Katha/Kahani - Full Story] [mahaatma shreeagradaasajee]- Bhaktmaal


aap shreekrishnadaasajee payahaareejee mahaaraajake shishy the, jinhonne jayapuramen galata naamak prasiddh sthaanapar padhaarakar tatkaaleen jayapura-nareshako vaishnav banaaya aur vaheen par pahaada़men dhoonee sthaapit kee, jo abheetak chaaloo hai. shreepayahaareejee mahaaraajake bada़e shishy shreekeeladaasajee to galataamen viraaje the aur in doosare shree agradaasajee mahaaraajane jayapurake paas kareeb tees meel door steshan gorayonke nikat raivaasa naamak sthaan sthaapit kiya aur ye vaheen viraaje. raivaasaakee gaddee prasiddh hai. shree agrasvaameejeeka janmotsav jayapuramen phaalgun shukla 2 ko bada़e dhoomadhaamase manaaya jaata hai.

aapake vishayamen yah pad prachalit hai—

ras bodh vipul aanandaghan seel, daya,

chhama tosh dhan jan maanad amaan hain ..

meti ruksh jnaan mahaamaadhury pradhaan jinha

keenhon agrasaagar so vidit jahaan hain.

leenon mathi saar dhyaan manjaree shrringaar saba

bhedee anabhedee padha़en jaanat sajnaan hain.

aapakee svarachit 72 kundaliyonmense ek yah hai -

sada n phool toraee, sada n saanvan hoya.

sada n saavan hoy, sant jan sada n aavain.

sada n rahe subuddhi, sada gobind jas gaavain ..

sada n pachchhee keli karen ih taruvar oopara.

sada n syaahee rahe saphedee aave bhoo par ..

agr kahai hari milan kaun tan man daarau khoya.

sada n phoole toraee, sada n saanvan hoy ..

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