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रसिकभक्त विद्यापति की मार्मिक कथा
रसिकभक्त विद्यापति की अधबुत कहानी - Full Story of रसिकभक्त विद्यापति (हिन्दी)

[भक्त चरित्र -भक्त कथा/कहानी - Full Story] [रसिकभक्त विद्यापति]- भक्तमाल


महाकवि विद्यापति भगवान् श्रीकृष्णण और उनकी हादिनी शक्ति श्रीराधारानीके रूप लावण्य और भक्तिरससे 1 औत-प्रीत शृङ्गारके कुशल मर्मज्ञ और गायक थे। ये 1 बंगालके प्रसिद्ध वैष्णव कवि चण्डीदासके समकालीन 1 थे। दोनों एक-दूसरेके कविता प्रेम और श्रीकृष्ण-भक्तिसे प्रभावित थे और परम पवित्र भगवती भागीरथीके तटपर दोनोंका एक समय मिलन भी हुआ था।

विद्यापतिने विक्रमकी पंद्रहवीं सदीमें विसपी ग्राम में जन्म लिया था। उनका परिवार बिहारके तत्कालीन 'शासक 'हिंदूपति' महाराज शिवसिंहके पूर्वजांका कृपापात्र था और विद्यापतिने तो शिवसिंह और उनकी पटरानी महारानी लक्ष्मी (लखिमा) के आश्रयमें मिथिलाको अपनी श्रीकृष्ण-भक्ति-सुधासे वृन्दावन बना दिया। बिहार ही नहीं, उत्तरापथकी गली-गलीमें, उपवन और सरोवर-तटॉपर काव्यरसिक उनकी पदावलीका रसास्वादन करके प्रमत्त हो उठे। अभिनव कृष्ण महाप्रभु चैतन्यदेव और उनकी भकमण्डलीके लिये तो कविकण्ठहार विद्यापति के पद श्रीराधाकृष्णकी मधुर भक्तिके उद्दीपन ही बन गये। महाप्रभु उनके विरह और प्रेमसम्बन्धी पदकी सुनते जाते थे और साथ ही साथ नयनोंसे अनवरत अश्रुकी धारा बहाते थे।

विद्यापति प्रतिभाशाली कवि ही नहीं, संस्कृतके अच्छे विद्वान थे। श्रीमद्भागवतमें उनकी बड़ी श्रद्धा थी, उन्होंने पाठके लिये स्वयं अपने हाथसे उसकी एक प्रतिलिपि की थी। भगवती गङ्गा और श्रीदुर्गामं भी उनकी बड़ी भक्ति थी। उन्होंने 'गङ्गावाक्यावली' और 'दुर्गाभतितरङ्गिणी' की रचना की है। उन्होंने हिमाचल नन्दिनी भगवती पार्वतीका अपने पदोंमें कहाँ-कहीं सादर स्मरण किया है। शिव और पार्वतीमें उनकी अटल निष्ठा थी। उन्होंने एक स्थलपर कहा है-

"हिमगिरि कुमार चरन हिरदय धरि कवि विद्यापति भाखे।'भगवान् शिवकी स्तुतिमें उन्होंने बहुत-से पद लिखे हैं, बिहारमें इन 'नचारियों' को लोग बड़े उत्साहसे गाया करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि विद्यापतिकी शिव-भक्तिसे प्रसन्न होकर भगवान् भोलेनाथने उनको अपना 'उगना' नाम रखकर सेवकके वेषमें धन्य किया था। यह कहना सरल नहीं है। कि विद्यापति शैव थे या वैष्णव, पर उनकी सरस पदावलीसे उनकी श्रीकृष्ण और श्रीराधाके प्रति भक्ति और दृढ़ आस्था प्रकट होती है। उन्होंने भक्तिभावसे सने प्रेम, विरह, मिलन, अभिसार और मानसम्बन्धी अनेक सरस पदोंकी रचना करके अपनी श्रीकृष्णभक्तिकी उज्ज्वल पताका फहरायी है। श्रीकृष्ण ही उनके आराध्य देव थे। उनके पदोंमें भक्तिसुलभ सरलता और माधुर्यका सुन्दर समन्वय मिलता है। शृङ्गार और भक्तिका इतना मधुर समावेश अन्यत्र कठिनतासे हुआ है। उन्होंने अपने पूर्ववर्ती महाकवि गीतगोविन्दकार श्रीजयदेवका पूर्णरूपसे अनुगमन करके अपने 'अभिनव जयदेव' नामकी सत्यता चरितार्थ की। कवि शेखर विद्यापतिने अपने उपास्यका निम्नलिखित पदमें जो ध्यान किया है, उससे उनके रँगीले हृदयकी रसीली भक्तिका पता चलता है-

नन्दक नँदन कदम्बक तरु तरे धिरे-धीरे मुरली बजाव।

समय संकेत निकेतन बइसल बेरि-बेरि बोलि पठाव

सामरी तोरा लगि अनुखने बिकल मुरारि ।

जमुना के तीरे उपबन उदबेगल फिरि-फिरि ततहि निहारि ॥

गोरस बिके अबइते जाइते जनि-जनि पुछ बनमारि


तो हे मतिमान सुमति मधुसूदन बचन सुनहु किछु मोरा

भनइ विद्यापति सुन बरजौवति बंदह नंदकिसोरा ॥

विद्यापति रसिक भक्त, महाकवि और प्रेमी थे। उनको स्वर्ग गये पाँच सौ सालसे अधिक समय हो गया; तो भी मैथिलकोकिलकी काव्यवाणी श्रीकृष्णभक्तिकी सरसताकी साहित्य जगत्में महिमा प्रकटकर उत्तरोत्तर सम्मानित होती जा रही है।



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mahaakavi vidyaapati bhagavaan shreekrishnan aur unakee haadinee shakti shreeraadhaaraaneeke roop laavany aur bhaktirasase 1 auta-preet shringaarake kushal marmajn aur gaayak the. ye 1 bangaalake prasiddh vaishnav kavi chandeedaasake samakaaleen 1 the. donon eka-doosareke kavita prem aur shreekrishna-bhaktise prabhaavit the aur param pavitr bhagavatee bhaageeratheeke tatapar dononka ek samay milan bhee hua thaa.

vidyaapatine vikramakee pandrahaveen sadeemen visapee graam men janm liya thaa. unaka parivaar bihaarake tatkaaleen 'shaasak 'hindoopati' mahaaraaj shivasinhake poorvajaanka kripaapaatr tha aur vidyaapatine to shivasinh aur unakee pataraanee mahaaraanee lakshmee (lakhimaa) ke aashrayamen mithilaako apanee shreekrishna-bhakti-sudhaase vrindaavan bana diyaa. bihaar hee naheen, uttaraapathakee galee-galeemen, upavan aur sarovara-tataॉpar kaavyarasik unakee padaavaleeka rasaasvaadan karake pramatt ho uthe. abhinav krishn mahaaprabhu chaitanyadev aur unakee bhakamandaleeke liye to kavikanthahaar vidyaapati ke pad shreeraadhaakrishnakee madhur bhaktike uddeepan hee ban gaye. mahaaprabhu unake virah aur premasambandhee padakee sunate jaate the aur saath hee saath nayanonse anavarat ashrukee dhaara bahaate the.

vidyaapati pratibhaashaalee kavi hee naheen, sanskritake achchhe vidvaan the. shreemadbhaagavatamen unakee bada़ee shraddha thee, unhonne paathake liye svayan apane haathase usakee ek pratilipi kee thee. bhagavatee ganga aur shreedurgaaman bhee unakee bada़ee bhakti thee. unhonne 'gangaavaakyaavalee' aur 'durgaabhatitaranginee' kee rachana kee hai. unhonne himaachal nandinee bhagavatee paarvateeka apane padonmen kahaan-kaheen saadar smaran kiya hai. shiv aur paarvateemen unakee atal nishtha thee. unhonne ek sthalapar kaha hai-

"himagiri kumaar charan hiraday dhari kavi vidyaapati bhaakhe.'bhagavaan shivakee stutimen unhonne bahuta-se pad likhe hain, bihaaramen in 'nachaariyon' ko log bada़e utsaahase gaaya karate hain. aisa kaha jaata hai ki vidyaapatikee shiva-bhaktise prasann hokar bhagavaan bholenaathane unako apana 'uganaa' naam rakhakar sevakake veshamen dhany kiya thaa. yah kahana saral naheen hai. ki vidyaapati shaiv the ya vaishnav, par unakee saras padaavaleese unakee shreekrishn aur shreeraadhaake prati bhakti aur dridha़ aastha prakat hotee hai. unhonne bhaktibhaavase sane prem, virah, milan, abhisaar aur maanasambandhee anek saras padonkee rachana karake apanee shreekrishnabhaktikee ujjval pataaka phaharaayee hai. shreekrishn hee unake aaraadhy dev the. unake padonmen bhaktisulabh saralata aur maadhuryaka sundar samanvay milata hai. shringaar aur bhaktika itana madhur samaavesh anyatr kathinataase hua hai. unhonne apane poorvavartee mahaakavi geetagovindakaar shreejayadevaka poornaroopase anugaman karake apane 'abhinav jayadeva' naamakee satyata charitaarth kee. kavi shekhar vidyaapatine apane upaasyaka nimnalikhit padamen jo dhyaan kiya hai, usase unake rangeele hridayakee raseelee bhaktika pata chalata hai-

nandak nandan kadambak taru tare dhire-dheere muralee bajaava.

samay sanket niketan baisal beri-beri boli pathaava

saamaree tora lagi anukhane bikal muraari .

jamuna ke teere upaban udabegal phiri-phiri tatahi nihaari ..

goras bike abaite jaaite jani-jani puchh banamaari


to he matimaan sumati madhusoodan bachan sunahu kichhu moraa

bhanai vidyaapati sun barajauvati bandah nandakisora ..

vidyaapati rasik bhakt, mahaakavi aur premee the. unako svarg gaye paanch sau saalase adhik samay ho gayaa; to bhee maithilakokilakee kaavyavaanee shreekrishnabhaktikee sarasataakee saahity jagatmen mahima prakatakar uttarottar sammaanit hotee ja rahee hai.

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