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गुजरातके महान् भक्त श्रीप्रीतमदासजी की मार्मिक कथा
गुजरातके महान् भक्त श्रीप्रीतमदासजी की अधबुत कहानी - Full Story of गुजरातके महान् भक्त श्रीप्रीतमदासजी (हिन्दी)

[भक्त चरित्र -भक्त कथा/कहानी - Full Story] [गुजरातके महान् भक्त श्रीप्रीतमदासजी]- भक्तमाल


भक्त प्रीतमदासजीका जन्म बारोट जातिमें सं0 1774 में गुजरातके बावला गाँवमें हुआ था। उनके पिताका नाम प्रभातसिंह और माताका नाम जयकुँवरि बाई था। वे बचपनसे ही अन्धे थे।

एक समय बावला गाँवमें साधुओंकी एक जमात आयी। पंद्रह वर्षकी उम्र में ही प्रीतमदासजी भगवान्‌की स्तुतिके नये-नये पद बना लेते थे। बालककी ऐसी अद्भुत शक्ति देखकर साधुओंको उसके ऊपर दया आयी । बालकपर सत्सङ्गका रंग चढ़ा और जमातके महन्त भाईदासजीसे उसने गुरु मन्त्र ग्रहण किया।

उसके बाद घूमते-घूमते प्रीतमदासजी गुजरातके संदेसर गाँवमें आये और वहीं भजन करने लगे तथाआजीवन वहीं रहे।

प्रीतमदासजी महान् भक्त थे। उन्होंने सरस गीता, ज्ञान ककहरा, सोरठ रागका महीना इत्यादि बहुत-से अच्छे ग्रन्थ लिखे हैं। उन्होंने 1500 से अधिक भजन भी बनाये थे।

हरिनो मारग छे शूरानो नहिं कायरनुं काम जोने।

परथम पहेलुं मस्तक मूकी वळती लेवुं नाम जोने ॥

सुत वित दारा शीश समर्पे, ते पामे रस पीवा जोने।

सिंधु मध्ये मोती लेवा माँही पड़या मरजीवा जोने ॥

मरण आगमे ते भरे मूठी दिलनी दुग्धा वामे जोने।

तीरे ऊभा जुवे तमासो ते कौडी नव पामे जोने ॥

प्रेमपंथ पावकनी ज्वाळा भाळी पाछा भागे जोने।

माँही पड़या ते महासुख माणे, देखनारा दाझे जोने ।।

माथा साटे मोंघी वस्तु, साँपडवी नहिं सहेल जोने।

महापदं पाम्या ते मरजीवा, मूकी मननो मेल जोने ।।

राम अमलमाँ राता माता, पूरा प्रेमी परखे जोते ।

प्रीतमना स्वामीनी लीला, ते रजनी दंन नरखे जोने ।।

महात्मा गाँधीका यह प्रिय पद प्रीतमदासका ही रचा हुआ है। उनकी रची हुई सरस गीता ऐसी है, जो गानेवालेके द्वारा मधुर कण्ठसे गाये जानेपर भक्त श्रोताओंके हृदयको भक्तिरससे सराबोर कर देती है और उनकी आँखोंसे आँसुओंकी धारा बहने लगती है। उसमें गोपी-प्रेमका अगाध वर्णन है। अन्धे होनेके कारण उनके साथ सदा चार- र-पाँच भक्तजन रहते थे।वे जब भावमें आते, तब भजन बोलते जाते और उनके साथी भक्त उसे लिखते रहते थे। प्रीतमदास समर्थ त्यागी पुरुष थे। उनके चौबीस शिष्य थे, वे भी त्यागी थे।

रविसाहेब श्रीप्रीतमदासके समयके महान् भक्त थे और वे प्रीतमदाससे बहुत प्रेम करते थे । इन्होंने कोई नया पंथ नहीं चलाया। अपने जीवनमें जिस परम सत्यका अनुभव किया, उसीको सरल वाणीमें उस समयकी जनताके सामने उपस्थित कर दिया।

अन्तमें संवत् 1854 की वैशाख बदी द्वादशीको वे भगवत्स्वरूपमें लीन हो गये।



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bhakt preetamadaasajeeka janm baarot jaatimen san0 1774 men gujaraatake baavala gaanvamen hua thaa. unake pitaaka naam prabhaatasinh aur maataaka naam jayakunvari baaee thaa. ve bachapanase hee andhe the.

ek samay baavala gaanvamen saadhuonkee ek jamaat aayee. pandrah varshakee umr men hee preetamadaasajee bhagavaan‌kee stutike naye-naye pad bana lete the. baalakakee aisee adbhut shakti dekhakar saadhuonko usake oopar daya aayee . baalakapar satsangaka rang chadha़a aur jamaatake mahant bhaaeedaasajeese usane guru mantr grahan kiyaa.

usake baad ghoomate-ghoomate preetamadaasajee gujaraatake sandesar gaanvamen aaye aur vaheen bhajan karane lage tathaaaajeevan vaheen rahe.

preetamadaasajee mahaan bhakt the. unhonne saras geeta, jnaan kakahara, sorath raagaka maheena ityaadi bahuta-se achchhe granth likhe hain. unhonne 1500 se adhik bhajan bhee banaaye the.

harino maarag chhe shooraano nahin kaayaranun kaam jone.

paratham pahelun mastak mookee valatee levun naam jone ..

sut vit daara sheesh samarpe, te paame ras peeva jone.

sindhu madhye motee leva maanhee pada़ya marajeeva jone ..

maran aagame te bhare moothee dilanee dugdha vaame jone.

teere oobha juve tamaaso te kaudee nav paame jone ..

premapanth paavakanee jvaala bhaalee paachha bhaage jone.

maanhee pada़ya te mahaasukh maane, dekhanaara daajhe jone ..

maatha saate monghee vastu, saanpadavee nahin sahel jone.

mahaapadan paamya te marajeeva, mookee manano mel jone ..

raam amalamaan raata maata, poora premee parakhe jote .

preetamana svaameenee leela, te rajanee dann narakhe jone ..

mahaatma gaandheeka yah priy pad preetamadaasaka hee racha hua hai. unakee rachee huee saras geeta aisee hai, jo gaanevaaleke dvaara madhur kanthase gaaye jaanepar bhakt shrotaaonke hridayako bhaktirasase saraabor kar detee hai aur unakee aankhonse aansuonkee dhaara bahane lagatee hai. usamen gopee-premaka agaadh varnan hai. andhe honeke kaaran unake saath sada chaara- ra-paanch bhaktajan rahate the.ve jab bhaavamen aate, tab bhajan bolate jaate aur unake saathee bhakt use likhate rahate the. preetamadaas samarth tyaagee purush the. unake chaubees shishy the, ve bhee tyaagee the.

ravisaaheb shreepreetamadaasake samayake mahaan bhakt the aur ve preetamadaasase bahut prem karate the . inhonne koee naya panth naheen chalaayaa. apane jeevanamen jis param satyaka anubhav kiya, useeko saral vaaneemen us samayakee janataake saamane upasthit kar diyaa.

antamen sanvat 1854 kee vaishaakh badee dvaadasheeko ve bhagavatsvaroopamen leen ho gaye.

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