⮪ All भक्त चरित्र

ब्रह्मचारी श्रीकुलदानन्दजी की मार्मिक कथा
ब्रह्मचारी श्रीकुलदानन्दजी की अधबुत कहानी - Full Story of ब्रह्मचारी श्रीकुलदानन्दजी (हिन्दी)

[भक्त चरित्र -भक्त कथा/कहानी - Full Story] [ब्रह्मचारी श्रीकुलदानन्दजी]- भक्तमाल


ब्रह्मचारी श्रीकुलदानन्दजीका जन्म बँगला सन् 1274 में बंगालके विक्रमपुर पश्चिमपाड़ा ग्राममें एक ब्राह्मण कुलमें हुआ था। उनके पिता कमलाकान्त बन्दोपाध्याय एक प्रसिद्ध तान्त्रिक थे। श्रीकुलदानन्दजीके चरित्र-विकासपर उनके पिताको संयमित जीवनपद्धतिका बड़ा प्रभाव पड़ा था। ढाका विश्वविद्यालयमें उच्च शिक्षा प्राप्त करनेके बाद वे ब्राह्मसमाजमें सम्मिलित हो गये। कुछ दिनोंके बाद बंगालके सुप्रसिद्ध महात्मा विजयकृष्ण गोस्वामीसे दीक्षित होकर वे सत्य ज्ञानको खोज में लग गये। गुरुके आदेशसे उन्होंने कुछ दिन अवध क्षेत्रके फैजाबाद जनपदमें भी बिताये, अयोध्याके बड़े-बड़े संतों और भक्तोंके सत्सङ्गमें उन्होंने भगवद्सका आस्वादन किया। फैजाबादसे लौटनेपर वे गुरुकी सेवामें ही रहकर तपस्या पूर्ण जीवन बिताने लगे। गुरुको शरणमें आनेपर उनका जीवन तपस्याका प्रतीक हो उठा। कुछ समयतक वे 'चण्डी' पहाड़पर गुरुके हो आदेशसे निवास करते रहे। गोस्वामीजी महाराजके शरीरान्तके बाद उन्होंने गयाको पहाड़ियोंमें ब्रह्मचिन्तन आरम्भ किया। उन्होंने महात्मा गंभीरनाथके आदेशसेकाशीवास किया और एकान्त स्थानमें अपनी अन्तरङ्ग साधना की।

चन्दननगरमें उन्होंने एक सुन्दर आश्रम स्थापित किया और गोस्वामीजी महाराजकी प्रतिमा प्रतिष्ठित की। अनेक अग्रिहोत्री शिष्योंके साथ सप्तशती-महाहोमका प्रवर्तन किया। धीरे-धीरे उनके शिष्योंकी संख्या बढ़ने लगी। पुरीमें भी उन्होंने तीर्थयात्रियों तथा साधु-संतोंकी सुविधाके लिये एक आश्रम बनवाया।

उन्होंने बँगला सन् 1337 के आषाढमासमें परधामकी यात्रा की। उनका समाधि-कार्य उनके आदेशसे पुरीमें ही सम्पन्न हुआ। उनकी प्रसिद्ध रचना 'सद्गुरु सङ्ग' उनकी जीवनी है, इसमें उन्होंने अपने जीवनके कुछ वर्षोंकी अनुभूतियोंका सुन्दर दिग्दर्शन कराया है। उन्होंने आजीवन अपने शिष्योंको सद्गृहस्थ-धर्म पालन करनेकी सीख दी। सेवा और दया तथा क्षमा आदि दैवी शक्तियोंको अपनानेके लिये उनका विशेष आग्रह रहता था।

उनके दर्शनमात्रसे ही लोग प्रभावित हो जाया करते थे। वे आदर्श भक्त, महात्मा और सत्यनिष्ठ संत थे।



You may also like these:



brahmachaaree shreekuladaanandajee ki marmik katha
brahmachaaree shreekuladaanandajee ki adhbut kahani - Full Story of brahmachaaree shreekuladaanandajee (hindi)

[Bhakt Charitra - Bhakt Katha/Kahani - Full Story] [brahmachaaree shreekuladaanandajee]- Bhaktmaal


brahmachaaree shreekuladaanandajeeka janm bangala san 1274 men bangaalake vikramapur pashchimapaada़a graamamen ek braahman kulamen hua thaa. unake pita kamalaakaant bandopaadhyaay ek prasiddh taantrik the. shreekuladaanandajeeke charitra-vikaasapar unake pitaako sanyamit jeevanapaddhatika bada़a prabhaav pada़a thaa. dhaaka vishvavidyaalayamen uchch shiksha praapt karaneke baad ve braahmasamaajamen sammilit ho gaye. kuchh dinonke baad bangaalake suprasiddh mahaatma vijayakrishn gosvaameese deekshit hokar ve saty jnaanako khoj men lag gaye. guruke aadeshase unhonne kuchh din avadh kshetrake phaijaabaad janapadamen bhee bitaaye, ayodhyaake bada़e-bada़e santon aur bhaktonke satsangamen unhonne bhagavadsaka aasvaadan kiyaa. phaijaabaadase lautanepar ve gurukee sevaamen hee rahakar tapasya poorn jeevan bitaane lage. guruko sharanamen aanepar unaka jeevan tapasyaaka prateek ho uthaa. kuchh samayatak ve 'chandee' pahaada़par guruke ho aadeshase nivaas karate rahe. gosvaameejee mahaaraajake shareeraantake baad unhonne gayaako pahaada़iyonmen brahmachintan aarambh kiyaa. unhonne mahaatma ganbheeranaathake aadeshasekaasheevaas kiya aur ekaant sthaanamen apanee antarang saadhana kee.

chandananagaramen unhonne ek sundar aashram sthaapit kiya aur gosvaameejee mahaaraajakee pratima pratishthit kee. anek agrihotree shishyonke saath saptashatee-mahaahomaka pravartan kiyaa. dheere-dheere unake shishyonkee sankhya badha़ne lagee. pureemen bhee unhonne teerthayaatriyon tatha saadhu-santonkee suvidhaake liye ek aashram banavaayaa.

unhonne bangala san 1337 ke aashaadhamaasamen paradhaamakee yaatra kee. unaka samaadhi-kaary unake aadeshase pureemen hee sampann huaa. unakee prasiddh rachana 'sadguru sanga' unakee jeevanee hai, isamen unhonne apane jeevanake kuchh varshonkee anubhootiyonka sundar digdarshan karaaya hai. unhonne aajeevan apane shishyonko sadgrihastha-dharm paalan karanekee seekh dee. seva aur daya tatha kshama aadi daivee shaktiyonko apanaaneke liye unaka vishesh aagrah rahata thaa.

unake darshanamaatrase hee log prabhaavit ho jaaya karate the. ve aadarsh bhakt, mahaatma aur satyanishth sant the.

133 Views





Bhajan Lyrics View All

ऐसी होली तोहे खिलाऊँ
दूध छटी को याद दिलाऊँ
मुझे रास आ गया है,
तेरे दर पे सर झुकाना
करदो करदो बेडा पार, राधे अलबेली सरकार।
राधे अलबेली सरकार, राधे अलबेली सरकार॥
राधे तु कितनी प्यारी है ॥
तेरे संग में बांके बिहारी कृष्ण
रसिया को नार बनावो री रसिया को
रसिया को नार बनावो री रसिया को
मीठे रस से भरी रे, राधा रानी लागे,
मने कारो कारो जमुनाजी रो पानी लागे
श्यामा प्यारी मेरे साथ हैं,
फिर डरने की क्या बात है
श्यामा तेरे चरणों की गर धूल जो मिल
सच कहता हूँ मेरी तकदीर बदल जाए॥
प्रभु कर कृपा पावँरी दीन्हि
सादर भारत शीश धरी लीन्ही
मेरा अवगुण भरा शरीर, कहो ना कैसे
कैसे तारोगे प्रभु जी मेरो, प्रभु जी
मुँह फेर जिधर देखु मुझे तू ही नज़र आये
हम छोड़के दर तेरा अब और किधर जाये
तेरे बगैर सांवरिया जिया नही जाये
तुम आके बांह पकड लो तो कोई बात बने‌॥
नी मैं दूध काहे नाल रिडका चाटी चो
लै गया नन्द किशोर लै गया,
ज़री की पगड़ी बाँधे, सुंदर आँखों वाला,
कितना सुंदर लागे बिहारी कितना लागे
मैं तो तुम संग होरी खेलूंगी, मैं तो तुम
वा वा रे रासिया, वा वा रे छैला
मोहे आन मिलो श्याम, बहुत दिन बीत गए।
बहुत दिन बीत गए, बहुत युग बीत गए ॥
सज धज कर जिस दिन मौत की शहजादी आएगी,
ना सोना काम आएगा, ना चांदी आएगी।
वृदावन जाने को जी चाहता है,
राधे राधे गाने को जी चाहता है,
हरी नाम नहीं तो जीना क्या
अमृत है हरी नाम जगत में,
मैं मिलन की प्यासी धारा
तुम रस के सागर रसिया हो
तेरे दर पे आके ज़िन्दगी मेरी
यह तो तेरी नज़र का कमाल है,
कैसे जिऊ मैं राधा रानी तेरे बिना
मेरा मन ही ना लागे तुम्हारे बिना
श्याम हमारे दिल से पूछो, कितना तुमको
याद में तेरी मुरली वाले, जीवन यूँ ही
सारी दुनियां है दीवानी, राधा रानी आप
कौन है, जिस पर नहीं है, मेहरबानी आप की
तीनो लोकन से न्यारी राधा रानी हमारी।
राधा रानी हमारी, राधा रानी हमारी॥
वास देदो किशोरी जी बरसाना,
छोडो छोडो जी छोडो जी तरसाना ।
हर साँस में हो सुमिरन तेरा,
यूँ बीत जाये जीवन मेरा
अपनी वाणी में अमृत घोल
अपनी वाणी में अमृत घोल
जग में सुन्दर है दो नाम, चाहे कृष्ण कहो
बोलो राम राम राम, बोलो श्याम श्याम
तू कितनी अच्ची है, तू कितनी भोली है,
ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ ।

New Bhajan Lyrics View All

बजरंगी महाराज,
तुम्हे भक्त बुलाते है,
भादो का मेला सुहाना लगता है,
भक्तो का तो दिल दीवाना लगता है,
मुझे राधारमण तेरो सहारा,
चले आओ.. नहीं तुम बिन गुजारा,
राधे मोहे जमुना के पार मिलना,
पार मिलना मेरी सरकार मिलना,
द्वारे खड़ा है बढ़िया पालना ले लो