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भक्त श्रीश्यामदासजी महाराज की मार्मिक कथा
भक्त श्रीश्यामदासजी महाराज की अधबुत कहानी - Full Story of भक्त श्रीश्यामदासजी महाराज (हिन्दी)

[भक्त चरित्र -भक्त कथा/कहानी - Full Story] [भक्त श्रीश्यामदासजी महाराज]- भक्तमाल


श्रीश्यामदासजी महाराजका जन्म स्थान गया जिलान्तर्गत दौलतपुर नामक ग्राम था। ये बाल्यकालसे ही श्रीसियारामजीके परम अनन्य और सच्चे भक्त थे। भगवान्के सिवा अन्य किसीका आश्रय स्वप्रमें भी स्वीकार नहीं करते थे। भजनके प्रभावसे ये वचनसिद्ध महात्मा हो गये थे। इन्होंने पहले संत रंगाचारीसे दीक्षा लेनेकी इच्छा प्रकट की। परंतु रंगाचारीने योगबलसे जानकर कहा कि 'हम दोनों पूर्वजन्मके गुरुभाई रह चुके हैं, अतः मैं तुम्हें दीक्षा न देकर श्रीढोटनदासजीसे दीक्षा दिला दूंगा।' थोड़े समय बाद ही श्रीडोटनबाबासे दोक्षा लेकर ये छः वर्षतक निरन्तर गुरुसेवा करते हुए उनके पास ही रहे। फिर गुरुदेवका आशीर्वाद पाकर उनकी आज्ञासे घरपर आये और आठों पहर भगवत्पूजन और नामजप तथा सत्सङ्ग-कीर्तनमें ही रत रहने लगे।

चौथेपनमें भी जब इनके पुत्र नहीं हुआ, तब गाँवमें लोग अनेक प्रकारकी चर्चा करने लगे। प्रभुने पुत्र देकर भक्तकी यह चिन्ता भी मिटा दी। परंतु जब बालक छः माका हुआ, तब किसी अशुभ ग्रहके कारण उसकी दोनों आँखें जाती रहीं। श्रीमहाराजजीने बालकको मन्दिरमेंसुला दिया और दृढ़ विश्वासके साथ भगवान्से प्रार्थना करने लगे। तुरंत ही भगवान्ने बालकको नेत्रदान देकर भक्तकी बात रख ली।

एक बार ये भ्रमवश अर्धरात्रिके समय ही गङ्गा स्नानके लिये चल पड़े। रास्तेमें एक दुष्टोंके समूहने इन्हें घेर लिया। इतनेमें ही श्रीरघुनाथजीने एक वीरका वेष धारण कर दुष्टोंको मार भगाया और इन्हें गङ्गातटतक पहुँचाकर अदृश्य हो गये।

एक बार इनकी कथामें यह प्रसङ्ग चला कि कथामें श्रीरघुनाथजी स्वयं पधारते हैं। इतनेमें ही एक अविश्वासीने मजाकमें कहा कि 'यदि कथामें रघुनाथजी स्वयं पधारते हैं तो यहाँ कहाँ हैं? दिखलाओ।' कहते हैं कि भगवान् वहाँ परम सुन्दर छोटी अवस्थाके संतका रूप धारण करके पधारे। कथा समाप्त होते ही वे तुरंत अन्तर्धान हो गये। यह अद्भुत लीला देखकर वह अत्यन्त लज्जित हुआ और पैरों पड़कर क्षमा-याचना करने लगा। इसी प्रकारकी अनेक लीलाओंसे महाराजजीकी कृपासे हजारों मनुष्य भगवद्धजनमें लग गये।

इन्होंने सं0 1958 वि0 में मुखसे श्रीरामनाम लेते हुए शरीरका त्याग करके साकेतधामको प्रयाण किया।



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shreeshyaamadaasajee mahaaraajaka janm sthaan gaya jilaantargat daulatapur naamak graam thaa. ye baalyakaalase hee shreesiyaaraamajeeke param anany aur sachche bhakt the. bhagavaanke siva any kiseeka aashray svapramen bhee sveekaar naheen karate the. bhajanake prabhaavase ye vachanasiddh mahaatma ho gaye the. inhonne pahale sant rangaachaareese deeksha lenekee ichchha prakat kee. parantu rangaachaareene yogabalase jaanakar kaha ki 'ham donon poorvajanmake gurubhaaee rah chuke hain, atah main tumhen deeksha n dekar shreedhotanadaasajeese deeksha dila doongaa.' thoda़e samay baad hee shreedotanabaabaase doksha lekar ye chhah varshatak nirantar guruseva karate hue unake paas hee rahe. phir gurudevaka aasheervaad paakar unakee aajnaase gharapar aaye aur aathon pahar bhagavatpoojan aur naamajap tatha satsanga-keertanamen hee rat rahane lage.

chauthepanamen bhee jab inake putr naheen hua, tab gaanvamen log anek prakaarakee charcha karane lage. prabhune putr dekar bhaktakee yah chinta bhee mita dee. parantu jab baalak chhah maaka hua, tab kisee ashubh grahake kaaran usakee donon aankhen jaatee raheen. shreemahaaraajajeene baalakako mandiramensula diya aur dridha़ vishvaasake saath bhagavaanse praarthana karane lage. turant hee bhagavaanne baalakako netradaan dekar bhaktakee baat rakh lee.

ek baar ye bhramavash ardharaatrike samay hee ganga snaanake liye chal pada़e. raastemen ek dushtonke samoohane inhen gher liyaa. itanemen hee shreeraghunaathajeene ek veeraka vesh dhaaran kar dushtonko maar bhagaaya aur inhen gangaatatatak pahunchaakar adrishy ho gaye.

ek baar inakee kathaamen yah prasang chala ki kathaamen shreeraghunaathajee svayan padhaarate hain. itanemen hee ek avishvaaseene majaakamen kaha ki 'yadi kathaamen raghunaathajee svayan padhaarate hain to yahaan kahaan hain? dikhalaao.' kahate hain ki bhagavaan vahaan param sundar chhotee avasthaake santaka roop dhaaran karake padhaare. katha samaapt hote hee ve turant antardhaan ho gaye. yah adbhut leela dekhakar vah atyant lajjit hua aur pairon pada़kar kshamaa-yaachana karane lagaa. isee prakaarakee anek leelaaonse mahaaraajajeekee kripaase hajaaron manushy bhagavaddhajanamen lag gaye.

inhonne san0 1958 vi0 men mukhase shreeraamanaam lete hue shareeraka tyaag karake saaketadhaamako prayaan kiyaa.

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