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भक्त हरिमेधा और सुमेधा की मार्मिक कथा
भक्त हरिमेधा और सुमेधा की अधबुत कहानी - Full Story of भक्त हरिमेधा और सुमेधा (हिन्दी)

[भक्त चरित्र -भक्त कथा/कहानी - Full Story] [भक्त हरिमेधा और सुमेधा]- भक्तमाल


प्राचीन कालकी बात है-काश्मीर देशमें हरिमेधा और सुमेधा नामके दो ब्राह्मण थे, जो सदा भगवान् विष्णुके भजनमें संलग्न रहते थे। भगवान्‌में उनकी अविचल भक्ति थी। उनके हृदयमें सम्पूर्ण प्राणियोंके प्रति दया भरी हुई थी। वे सब तत्त्वोंका यथार्थ मर्म समझनेवाले थे। एक समय वे दोनों ब्राह्मण एक ही साथ तीर्थयात्राके लिये निकले। जाते-जाते किसी दुर्गम वनमें पहुँचकर वे बहुत थक गये। वहीं एक स्थानपर उन्होंने तुलसीका वन देखा। उनमें से सुमेधाने उस तुलसीवनकी परिक्रमा की और भक्तिपूर्वक प्रणाम किया। यह देख हरिमेधाने भी वैसा ही किया और सुमेधासे पूछा- 'ब्रह्मन् ! तुलसीका माहात्म्य क्या है?' सुमेधाने कहा-'महाभाग ! चलो, उस बरगदके नीचे चलें; उसकी छायामें बैठकर मैं सब बात बताऊँगा।' यह कहकर सुमेधा बरगदकी छायामें जा बैठे और हरिमेधासे बोले- 'विप्रवर! पूर्वकालमें जब समुद्रका मन्थन किया गया था, उस समय उससे अनेक प्रकारके दिव्य रत्न प्रकट हुए। अन्तमें धन्वन्तरिरूप भगवान् विष्णु अपने हाथमें अमृतका कलश लेकर प्रकट हुए। उस समय उनके नेत्रोंसे आनन्दाश्रुकी कुछ बूँदें उस अमृतके ऊपर गिरीं। उनसे तत्काल ही मण्डलाकार तुलसी उत्पन्न हुई। इस प्रकार समुद्रसे प्रकट हुई लक्ष्मी तथा अमृतसे उत्पन्न हुई तुलसीको सब देवताओंने श्रीहरिकी सेवामें समर्पित किया और भगवान् ने भी प्रसन्नतापूर्वक उन्हें ग्रहण किया। तबसे सम्पूर्ण देवता भगवत्प्रिया तुलसीकी विष्णुके समान ही पूजा करते हैं। भगवान् नारायण संसारके रक्षक हैं और तुलसी उनकी प्रियतमा हैं। इसलिये मैंने उन्हें प्रणाम किया।'

सुमेधा इस प्रकार तुलसीकी महिमा बता ही रहे थे कि सूर्यके समान तेजस्वी एक दिव्य विमान उनके निकट आता दिखायी दिया। इसी समय वह बरगदका वृक्ष भी उखड़कर गिर गया। उससे दो दिव्य पुरुष निकले, जो अपने तेजसे सम्पूर्ण दिशाओंको प्रकाशित कर रहे थे। उन दोनोंने हरिमेधा और सुमेधाको प्रणाम किया और अपना परिचय देते हुए कहा- 'हम दोनों देवता हैं और अपने पूर्वपापके कारण ब्रह्मराक्षस होकर इस वटवृक्षपर निवास करते थे। आज आपके मुखसे यह भगवद्विषयक चर्चा सुनकर तथा आप दोनों महात्माओंका सङ्ग पाकर हम दोनों इस पापयोनिसे मुक्त हो गये हैं और अब दिव्यधामको जा रहे हैं।'

यों कहकर वे दोनों हरिमेधा और सुमेधाको बार बार प्रणाम करके उनकी आज्ञा ले विमानद्वारा दिव्यलोकको चले गये। वास्तवमें भगवद्भक्तोंके सङ्गका ऐसा ही माहात्म्य है।



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praacheen kaalakee baat hai-kaashmeer deshamen harimedha aur sumedha naamake do braahman the, jo sada bhagavaan vishnuke bhajanamen sanlagn rahate the. bhagavaan‌men unakee avichal bhakti thee. unake hridayamen sampoorn praaniyonke prati daya bharee huee thee. ve sab tattvonka yathaarth marm samajhanevaale the. ek samay ve donon braahman ek hee saath teerthayaatraake liye nikale. jaate-jaate kisee durgam vanamen pahunchakar ve bahut thak gaye. vaheen ek sthaanapar unhonne tulaseeka van dekhaa. unamen se sumedhaane us tulaseevanakee parikrama kee aur bhaktipoorvak pranaam kiyaa. yah dekh harimedhaane bhee vaisa hee kiya aur sumedhaase poochhaa- 'brahman ! tulaseeka maahaatmy kya hai?' sumedhaane kahaa-'mahaabhaag ! chalo, us baragadake neeche chalen; usakee chhaayaamen baithakar main sab baat bataaoongaa.' yah kahakar sumedha baragadakee chhaayaamen ja baithe aur harimedhaase bole- 'vipravara! poorvakaalamen jab samudraka manthan kiya gaya tha, us samay usase anek prakaarake divy ratn prakat hue. antamen dhanvantariroop bhagavaan vishnu apane haathamen amritaka kalash lekar prakat hue. us samay unake netronse aanandaashrukee kuchh boonden us amritake oopar gireen. unase tatkaal hee mandalaakaar tulasee utpann huee. is prakaar samudrase prakat huee lakshmee tatha amritase utpann huee tulaseeko sab devataaonne shreeharikee sevaamen samarpit kiya aur bhagavaan ne bhee prasannataapoorvak unhen grahan kiyaa. tabase sampoorn devata bhagavatpriya tulaseekee vishnuke samaan hee pooja karate hain. bhagavaan naaraayan sansaarake rakshak hain aur tulasee unakee priyatama hain. isaliye mainne unhen pranaam kiyaa.'

sumedha is prakaar tulaseekee mahima bata hee rahe the ki sooryake samaan tejasvee ek divy vimaan unake nikat aata dikhaayee diyaa. isee samay vah baragadaka vriksh bhee ukhada़kar gir gayaa. usase do divy purush nikale, jo apane tejase sampoorn dishaaonko prakaashit kar rahe the. un dononne harimedha aur sumedhaako pranaam kiya aur apana parichay dete hue kahaa- 'ham donon devata hain aur apane poorvapaapake kaaran brahmaraakshas hokar is vatavrikshapar nivaas karate the. aaj aapake mukhase yah bhagavadvishayak charcha sunakar tatha aap donon mahaatmaaonka sang paakar ham donon is paapayonise mukt ho gaye hain aur ab divyadhaamako ja rahe hain.'

yon kahakar ve donon harimedha aur sumedhaako baar baar pranaam karake unakee aajna le vimaanadvaara divyalokako chale gaye. vaastavamen bhagavadbhaktonke sangaka aisa hee maahaatmy hai.

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