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रामभक्त श्रीगोपीनाथाचार्य की मार्मिक कथा
रामभक्त श्रीगोपीनाथाचार्य की अधबुत कहानी - Full Story of रामभक्त श्रीगोपीनाथाचार्य (हिन्दी)

[भक्त चरित्र -भक्त कथा/कहानी - Full Story] [रामभक्त श्रीगोपीनाथाचार्य]- भक्तमाल


गुजरातमें बहुतेरे भगवद्भक्त हो गये हैं। उनमें | श्रीगोपीनाथाचार्यका नाम बहुत ही प्रसिद्ध है। उनकी माताका नाम चंपादेवी और पिताका नाम लक्ष्मीधर था। उन्होंने भगवान् श्रीरामचन्द्रजीकी अनन्यभावसे उपासना करके, सच्चे भावसे प्रभुकी सेवा करके उनका साक्षात्कार प्राप्त किया था। उनका चरित्र, नीति, व्यवहार और श्रीरामके प्रति अनन्य भक्ति अपूर्व थी। उनके जीवनमें आकर्षण था, उन्होंने एक सच्चे योगीके समान जीवन बिताया और कीर्ति प्राप्त की थी। उनके उपदेशामृतसे सैकड़ों आदमी उनके भक्त हो गये। आज भी उनका सम्प्रदाय अविरत गतिसे गुजरातभरमें चलता जा रहा है।

श्रीगोपीनाथाचार्यने शास्त्रोंका बहुत अच्छा अभ्यास किया था। उन्होंने ज्योतिर्मठके श्रीरामानन्द स्वामीसे उपदेश ग्रहण किया था— उनकी रामभक्ति रामानन्द स्वामीका अनुसरण करती थी। पूजा, चर्या, उत्सवादि भी सब वे । तदनुकूल ही करते थे। सिद्धपुरमें सरस्वती नदीके किनारे, विन्दुसरोवरके नजदीक कदलीवनके नामसे उनका आश्रम आज भी विख्यात है। उनके उपदेशामृतमें ये दस सिद्धान्त प्राप्त होते हैं

1. इस सृष्टिके कर्ता हर्ता और धर्ता प्रभु हैं। उनकी प्राप्ति ही जीवनका सच्चा ध्येय है।

2. सद्विद्या, सत्सङ्ग और सदाचार-आदि सद्गुण

ईश्वरकी प्राप्तिके परम साधन हैं।

3. जीवनके परम ध्येय मुक्तिके लिये श्रीरामकी

उपासना ही सर्वोत्कृष्ट साधन है। 4. निष्काम भक्ति ही सच्ची राम-उपासना है।

7 5. मातृ-भक्ति, पितृ-भक्ति और गुरु-भक्ति रामोपासनामें

न बहुत ही आवश्यक हैं।

6. वर्ण-व्यवस्था और आश्रम धर्मोके द्वारा ही जीवनको स्वच्छ बनाया जा सकता है।

7. चतुर्विध पुरुषार्थकी प्राप्तिके लिये प्रभु-भक्तिको नही मुख्य ध्येय बनाना चाहिये।

8. दसों इन्द्रियाँ, मन और आत्मा आदिकी पवित्रता नही सत्य धर्मका सच्चा लक्षण है।

9. सदुपदेश और सच्छास्त्रोंका चिन्तन मनुष्यको उच्च भूमिकामें ले जानेका श्रेष्ठ सोपान है।

10. मानवजीवनमें संस्कार ही जीवनको श्रेष्ठ बनाते
हैं। उनका सम्प्रदाय गुजरातमें इन सिद्धान्तोंका प्रचार करता है।



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gujaraatamen bahutere bhagavadbhakt ho gaye hain. unamen | shreegopeenaathaachaaryaka naam bahut hee prasiddh hai. unakee maataaka naam chanpaadevee aur pitaaka naam lakshmeedhar thaa. unhonne bhagavaan shreeraamachandrajeekee ananyabhaavase upaasana karake, sachche bhaavase prabhukee seva karake unaka saakshaatkaar praapt kiya thaa. unaka charitr, neeti, vyavahaar aur shreeraamake prati anany bhakti apoorv thee. unake jeevanamen aakarshan tha, unhonne ek sachche yogeeke samaan jeevan bitaaya aur keerti praapt kee thee. unake upadeshaamritase saikada़on aadamee unake bhakt ho gaye. aaj bhee unaka sampradaay avirat gatise gujaraatabharamen chalata ja raha hai.

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1. is srishtike karta harta aur dharta prabhu hain. unakee praapti hee jeevanaka sachcha dhyey hai.

2. sadvidya, satsang aur sadaachaara-aadi sadguna

eeshvarakee praaptike param saadhan hain.

3. jeevanake param dhyey muktike liye shreeraamakee

upaasana hee sarvotkrisht saadhan hai. 4. nishkaam bhakti hee sachchee raama-upaasana hai.

7 5. maatri-bhakti, pitri-bhakti aur guru-bhakti raamopaasanaamen

n bahut hee aavashyak hain.

6. varna-vyavastha aur aashram dharmoke dvaara hee jeevanako svachchh banaaya ja sakata hai.

7. chaturvidh purushaarthakee praaptike liye prabhu-bhaktiko nahee mukhy dhyey banaana chaahiye.

8. dason indriyaan, man aur aatma aadikee pavitrata nahee saty dharmaka sachcha lakshan hai.

9. sadupadesh aur sachchhaastronka chintan manushyako uchch bhoomikaamen le jaaneka shreshth sopaan hai.

10. maanavajeevanamen sanskaar hee jeevanako shreshth banaate
hain. unaka sampradaay gujaraatamen in siddhaantonka prachaar karata hai.

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