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भक्त स्वामी श्रीरामतीर्थ की मार्मिक कथा
भक्त स्वामी श्रीरामतीर्थ की अधबुत कहानी - Full Story of भक्त स्वामी श्रीरामतीर्थ (हिन्दी)

[भक्त चरित्र -भक्त कथा/कहानी - Full Story] [भक्त स्वामी श्रीरामतीर्थ]- भक्तमाल


प्रसिद्ध महापुरुष स्वामी रामतीर्थका जन्म पंजाब प्रान्तके मुरलीवाला गाँव में एक उत्तम गोस्वामी ब्राह्मणकुलमें सन् 1873 की दिवालीके दिन हुआ था। जन्मके कुछ ही दिनों बाद आपकी माताका स्वर्गवास हो गया और आपके पालन-पोषणका सारा भार आपकी बुआपर पड़ा। बुआ परम साध्वी थी और बालक रामको लेकर वह कथा-कीर्तन तथा मन्दिरोंमें जाया करती थी, इनका नाम तीर्थराम था।

गाँवकी पढ़ाई समाप्तकर तीर्थराम गुजरांवाला आये और वहाँ भगत धन्नारामकी देख-रेख में आपकी शिक्षा शुरू हुई। आर्थिक स्थिति शोचनीय थी ही और विद्यार्थी अवस्थामें आपको अनेकों महान् सङ्कटोंका सामना करना पड़ा। प्रायः ऐसा होता कि भूख लगी है, पर पासमें पैसे नहीं हैं कि भोजन मिले। फिर भी बड़े मस्त रहते। पढ़ने-लिखनेमें आपकी विचक्षण बुद्धि और अप्रतिम मेधा देखकर सभी चकित हो जाते। बी0 ए0 में प्रथम आनेपर आपको साठ रुपये मासिक छात्रवृत्ति मिलने लगी। गणितमें एम0 ए0 करके आप उसी कालेजमें गणितके प्रोफेसर हो गये।

श्रीकृष्ण प्रेमका नशा छाने लगा, रावी-किनारे प्रात: सायं घंटों प्रेममें छके रहते। होशमें आते, तब हा कृष्ण! हा कृष्ण' कहकर रोने-तड़पने लगते। छुट्टियों में मथुरा-वृन्दावन पहुँचते और श्रीकृष्ण-भक्तिका अमृत पीते । उपनिषद् और वेदान्तके अन्यान्य ग्रन्थोंके अनुशीलनकेसाथ-साथ उत्तराखण्डमें जाकर एकान्तसेवनका चसका लगा। दृढ़ वैराग्य और अपार प्रेम ! गङ्गा और यमुनाका अद्भुत मिलन ! उस अलमस्तीका क्या कहना! 'मैं सूर्य हूँ, मैं सूर्य हूँ, संसाररूपी बुढ़ियाके नखरे टखरे और हावभाव मुझे मुग्ध नहीं कर सकते।'

सन् 1900 ईस्वीमें नौकरी आदि छोड़कर आप वनको पधारे। तीर्थराम अब स्वामी रामतीर्थ हो गये। राम 'राम बादशाह' बन गया। अब आप सर्वथा उन्मुक्त होकर ॐ । ॐ! गुनगुनाते फिरते और अपने-आपको प्रभुमें खोये रहते। लोगोंके विशेष आग्रहपर विश्वधर्म परिषद् में सम्मिलित होनेके लिये आप जापान गये और वहाँसे अमेरिका। जो भी आपकी मस्ती देखता, वही मुग्ध हो जाता। अमेरिकाके पत्रोंने आपका परिचय Living Crist 'जीवित ईसामसीह' के रूपमें दिया। वहाँ कई लोगोंने आपसे संन्यासकी दीक्षा ली।

ढाई वर्ष विदेशों में बिताकर आप पुनः उत्तराखण्ड | लौट आये। सन् 1906 की दिवालीका प्रातःकाल था। आज आपकी मस्तीका कुछ और ही अंदाज था। ॐ ॐ की धुन लग रही थी। गङ्गामें डुबकी लगाने उतरे। गङ्गाकी प्रखर धारामें शरीर बह चला। शरीर गङ्गामें बहा जा रहा है और राम ॐ ॐ की धुनमें चूर है! | दिवालीके ही दिन वह आया था और दिवालीके ही दिन वह लौट गया अपने प्रभुमें!



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[Bhakt Charitra - Bhakt Katha/Kahani - Full Story] [bhakt svaamee shreeraamateertha]- Bhaktmaal


prasiddh mahaapurush svaamee raamateerthaka janm panjaab praantake muraleevaala gaanv men ek uttam gosvaamee braahmanakulamen san 1873 kee divaaleeke din hua thaa. janmake kuchh hee dinon baad aapakee maataaka svargavaas ho gaya aur aapake paalana-poshanaka saara bhaar aapakee buaapar pada़aa. bua param saadhvee thee aur baalak raamako lekar vah kathaa-keertan tatha mandironmen jaaya karatee thee, inaka naam teertharaam thaa.

gaanvakee padha़aaee samaaptakar teertharaam gujaraanvaala aaye aur vahaan bhagat dhannaaraamakee dekha-rekh men aapakee shiksha shuroo huee. aarthik sthiti shochaneey thee hee aur vidyaarthee avasthaamen aapako anekon mahaan sankatonka saamana karana pada़aa. praayah aisa hota ki bhookh lagee hai, par paasamen paise naheen hain ki bhojan mile. phir bhee bada़e mast rahate. padha़ne-likhanemen aapakee vichakshan buddhi aur apratim medha dekhakar sabhee chakit ho jaate. bee0 e0 men pratham aanepar aapako saath rupaye maasik chhaatravritti milane lagee. ganitamen ema0 e0 karake aap usee kaalejamen ganitake prophesar ho gaye.

shreekrishn premaka nasha chhaane laga, raavee-kinaare praata: saayan ghanton premamen chhake rahate. hoshamen aate, tab ha krishna! ha krishna' kahakar rone-tada़pane lagate. chhuttiyon men mathuraa-vrindaavan pahunchate aur shreekrishna-bhaktika amrit peete . upanishad aur vedaantake anyaany granthonke anusheelanakesaatha-saath uttaraakhandamen jaakar ekaantasevanaka chasaka lagaa. driढ़ vairaagy aur apaar prem ! ganga aur yamunaaka adbhut milan ! us alamasteeka kya kahanaa! 'main soory hoon, main soory hoon, sansaararoopee budha़iyaake nakhare takhare aur haavabhaav mujhe mugdh naheen kar sakate.'

san 1900 eesveemen naukaree aadi chhoda़kar aap vanako padhaare. teertharaam ab svaamee raamateerth ho gaye. raam 'raam baadashaaha' ban gayaa. ab aap sarvatha unmukt hokar oM . oM! gunagunaate phirate aur apane-aapako prabhumen khoye rahate. logonke vishesh aagrahapar vishvadharm parishad men sammilit honeke liye aap jaapaan gaye aur vahaanse amerikaa. jo bhee aapakee mastee dekhata, vahee mugdh ho jaataa. amerikaake patronne aapaka parichay Living Crist 'jeevit eesaamaseeha' ke roopamen diyaa. vahaan kaee logonne aapase sannyaasakee deeksha lee.

dhaaee varsh videshon men bitaakar aap punah uttaraakhand | laut aaye. san 1906 kee divaaleeka praatahkaal thaa. aaj aapakee masteeka kuchh aur hee andaaj thaa. oM oM kee dhun lag rahee thee. gangaamen dubakee lagaane utare. gangaakee prakhar dhaaraamen shareer bah chalaa. shareer gangaamen baha ja raha hai aur raam oM oM kee dhunamen choor hai! | divaaleeke hee din vah aaya tha aur divaaleeke hee din vah laut gaya apane prabhumen!

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