⮪ All भक्त चरित्र

महान् भक्त श्रीअमृतलाल पढियार की मार्मिक कथा
महान् भक्त श्रीअमृतलाल पढियार की अधबुत कहानी - Full Story of महान् भक्त श्रीअमृतलाल पढियार (हिन्दी)

[भक्त चरित्र -भक्त कथा/कहानी - Full Story] [महान् भक्त श्रीअमृतलाल पढियार]- भक्तमाल


गुजरात काठियावाड़ में घर-घर 'स्वर्गको' पुस्तकें पढ़ी जाती हैं। गरीब-अमीर, विद्वान् मूर्ख सभी पढियारजीकी पुस्तकोंसे सुपरिचित हैं। उनकी पुस्तकें सादी, सरल और ग्रामीण भाषामें भक्ति, ज्ञान, वैराग्य, सदाचार तथा धर्मसे सराबोर हैं।

श्रीपढियारजोका जन्म संवत् 1926 के चैत्रमें हुआ था। पिता धार्मिक विचारके संस्कारी पुरुष थे। माता बचपनमें ही मर गयी। अट्ठाईस वर्षकी उम्रमें जिस दिन उनका ब्याह होनेवाला था, उसी दिन वे भाग निकले। और संसारका सम्बन्ध तोड़कर अपना जीवन प्रभुके पवित्र पथमें बितानेका उन्होंने निश्चय कर लिया। घर छोड़नेके बाद जीवनभर वे गरीबोंकी सेवा, साहित्यकी सेवा और प्रभुके भजनमें ही लगे रहे। इससे पढियारजीको उनके सहवासमें आनेवाले लोग 'बाबाजी' कहकर हो बुलाते थे। असलमे भगवा वस्त्र पहने बिना ही वे सच्चे संन्यासी थे। उन्होंने अपना दिल रँगा था तथा सारेभारतवर्षकी यात्रा की थी और अनेकों साधु-संतोंके सत्सङ्गका लाभ उठाया था ।

भिक्षु अखण्डानन्दजीकी संन्यास लेनेके बाद चौथे दिन पढियारजीसे भेंट हुई। गुजरातकी महान् संस्था 'सस्तुं साहित्यवर्द्धक कार्यालय' की स्थापनामें श्रीपढियारजीने अथक परिश्रम किया था और उसकी स्थापना भी बम्बई में श्रीपढियारजीके कमरेमें ही हुई थी ।

उन्होंने अपना सारा जीवन जनकल्याणमें ही बिताया। वे कहते थे कि जो कुछ मैंने भोगा है, कमाया है, बचाया है, खोया है, दान दिया है, सब मेरे पास है। श्रीमहात्मा गाँधीजी लिखते हैं कि 'उनकी सादगी और रहन-सहनकी मेरे मनके ऊपर छाप पड़ी है।

उनकी पुस्तकें सचमुच बाँचने योग्य हैं। '

वे अन्तिम अवस्थामें बम्बई में श्रीमनु सूबेदारके यहाँ थे और वहीं सं0 1975 की आषाढ़ कृष्णा पञ्चमीको प्रात:काल उन्होंने नश्वर देहको छोड़कर परलोककी यात्रा की ।



You may also like these:



mahaan bhakt shreeamritalaal padhiyaara ki marmik katha
mahaan bhakt shreeamritalaal padhiyaara ki adhbut kahani - Full Story of mahaan bhakt shreeamritalaal padhiyaara (hindi)

[Bhakt Charitra - Bhakt Katha/Kahani - Full Story] [mahaan bhakt shreeamritalaal padhiyaara]- Bhaktmaal


gujaraat kaathiyaavaada़ men ghara-ghar 'svargako' pustaken padha़ee jaatee hain. gareeba-ameer, vidvaan moorkh sabhee padhiyaarajeekee pustakonse suparichit hain. unakee pustaken saadee, saral aur graameen bhaashaamen bhakti, jnaan, vairaagy, sadaachaar tatha dharmase saraabor hain.

shreepadhiyaarajoka janm sanvat 1926 ke chaitramen hua thaa. pita dhaarmik vichaarake sanskaaree purush the. maata bachapanamen hee mar gayee. atthaaees varshakee umramen jis din unaka byaah honevaala tha, usee din ve bhaag nikale. aur sansaaraka sambandh toda़kar apana jeevan prabhuke pavitr pathamen bitaaneka unhonne nishchay kar liyaa. ghar chhoda़neke baad jeevanabhar ve gareebonkee seva, saahityakee seva aur prabhuke bhajanamen hee lage rahe. isase padhiyaarajeeko unake sahavaasamen aanevaale log 'baabaajee' kahakar ho bulaate the. asalame bhagava vastr pahane bina hee ve sachche sannyaasee the. unhonne apana dil ranga tha tatha saarebhaaratavarshakee yaatra kee thee aur anekon saadhu-santonke satsangaka laabh uthaaya tha .

bhikshu akhandaanandajeekee sannyaas leneke baad chauthe din padhiyaarajeese bhent huee. gujaraatakee mahaan sanstha 'sastun saahityavarddhak kaaryaalaya' kee sthaapanaamen shreepadhiyaarajeene athak parishram kiya tha aur usakee sthaapana bhee bambaee men shreepadhiyaarajeeke kamaremen hee huee thee .

unhonne apana saara jeevan janakalyaanamen hee bitaayaa. ve kahate the ki jo kuchh mainne bhoga hai, kamaaya hai, bachaaya hai, khoya hai, daan diya hai, sab mere paas hai. shreemahaatma gaandheejee likhate hain ki 'unakee saadagee aur rahana-sahanakee mere manake oopar chhaap pada़ee hai.

unakee pustaken sachamuch baanchane yogy hain. '

ve antim avasthaamen bambaee men shreemanu soobedaarake yahaan the aur vaheen san0 1975 kee aashaadha़ krishna panchameeko praata:kaal unhonne nashvar dehako chhoda़kar paralokakee yaatra kee .

203 Views





Bhajan Lyrics View All

वृन्दावन धाम अपार, जपे जा राधे राधे,
राधे सब वेदन को सार, जपे जा राधे राधे।
तुम रूठे रहो मोहन,
हम तुमको मन लेंगे
मेरी विनती यही है राधा रानी, कृपा
मुझे तेरा ही सहारा महारानी, चरणों से
श्याम बंसी ना बुल्लां उत्ते रख अड़ेया
तेरी बंसी पवाडे पाए लख अड़ेया ।
दुनिया से मैं हारा तो आया तेरे दवार,
यहाँ से जो मैं हारा तो कहा जाऊंगा मैं
मुझे चढ़ गया राधा रंग रंग, मुझे चढ़ गया
श्री राधा नाम का रंग रंग, श्री राधा नाम
राधिका गोरी से ब्रिज की छोरी से ,
मैया करादे मेरो ब्याह,
हर पल तेरे साथ मैं रहता हूँ,
डरने की क्या बात? जब मैं बैठा हूँ
रंग डालो ना बीच बाजार
श्याम मैं तो मर जाऊंगी
रंगीलो राधावल्लभ लाल, जै जै जै श्री
विहरत संग लाडली बाल, जै जै जै श्री
दिल की हर धड़कन से तेरा नाम निकलता है
तेरे दर्शन को मोहन तेरा दास तरसता है
मैं तो तुम संग होरी खेलूंगी, मैं तो तुम
वा वा रे रासिया, वा वा रे छैला
जगत में किसने सुख पाया
जो आया सो पछताया, जगत में किसने सुख
जा जा वे ऊधो तुरेया जा
दुखियाँ नू सता के की लैणा
लाडली अद्बुत नज़ारा तेरे बरसाने में
लाडली अब मन हमारा तेरे बरसाने में है।
ऐसी होली तोहे खिलाऊँ
दूध छटी को याद दिलाऊँ
सारी दुनियां है दीवानी, राधा रानी आप
कौन है, जिस पर नहीं है, मेहरबानी आप की
करदो करदो बेडा पार, राधे अलबेली सरकार।
राधे अलबेली सरकार, राधे अलबेली सरकार॥
सत्यम शिवम सुन्दरम
सत्य ही शिव है, शिव ही सुन्दर है
हम प्रेम नगर के बंजारिन है
जप ताप और साधन क्या जाने
तेरे दर की भीख से है,
मेरा आज तक गुज़ारा
राधे तेरे चरणों की अगर धूल जो मिल जाए
सच कहता हू मेरी तकदीर बदल जाए
मेरी करुणामयी सरकार पता नहीं क्या दे
क्या दे दे भई, क्या दे दे
जिनको जिनको सेठ बनाया वो क्या
उनसे तो प्यार है हमसे तकरार है ।
राधा कट दी है गलिआं दे मोड़ आज मेरे
श्याम ने आना घनश्याम ने आना
मुझे रास आ गया है,
तेरे दर पे सर झुकाना
श्याम हमारे दिल से पूछो, कितना तुमको
याद में तेरी मुरली वाले, जीवन यूँ ही
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे,
कोई सोना की जो होती, हीरा मोत्यां की जो
सांवरिया है सेठ ,मेरी राधा जी सेठानी
यह तो सारी दुनिया जाने है
मीठी मीठी मेरे सांवरे की मुरली बाजे,
होकर श्याम की दीवानी राधा रानी नाचे

New Bhajan Lyrics View All

मायें नी मेरी वार क्यों लाइयाँ ने
आजा करनियाँ ने होर मैं गल्लां
बजरंगी लाये खबरिया राम आये नगरिया,
आये नगरिया हो आये नगरिया...
तूँ है बाबा मेरा, मैं हूँ सेवक तेरा
मेरी विगड़ी, बनाना तेरा काम है
ऐसी लागी रे लगन,
भटके रे वन वन बृजबाला,
शुभ जन्म दिवस आज आया ऐ,
घर अपने प्रभु नू बुलाया ऐ,